Sunday, June 6, 2010

आहत होते अतिथि


भारत में लंबे अरसे तक अतिथि देवो भव की परंपरा रही है, जिसका अर्थ है कि यहां मेहमानों को भगवान का दर्जा दिया गया है। इस दृष्टि से यहां आने वाले पर्यटक भी हमारे लिए भगवान ही होने चाहिए, लेकिन पिछले कुछ वर्षो में जिस तरह महिला विदेशी पर्यटकों के साथ बलात्कार की घटनाओं में इजाफा हो रहा है, उससे तो यही लगता है कि हमने अतिथि देवो भव की अपनी परंपरा को बिसरा दिया है। क्या है विदेशी महिलाओं के साथ होने वाले इन बलात्कारों के सामाजिक, आर्थिक और आधुनिक सच?
अखबारों में अब आए दिन विदेशी पर्यटकों के साथ होने वाले बलात्कार और बदतमीजियों की खबरें प्रकाशित होती रहती हैं। हम खबरों को रूटीन अंदाज में पढ़ते हैं और ये जानने की कोशिश नहीं करते कि इस तरह की खबरें भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को किस कदर नुकसान पहुंचा रही हैं। एक नियोजित सा शोर किसी बलात्कार के बाद उठता है और वह कुछ ही रोज में शांत हो जाता है-मानो कहीं कुछ हुआ ही नहीं। और कुछ दिन बाद फिर किसी विदेशी महिला को बलात्कारी का शिकार बनना पड़ता है।
हाल ही में राजधानी दिल्ली में दुबई मूल की महिला ने आरोप लगाया है कि 5 नवंबर को आगरा से लौटते हुए सराय काले खां के पास कैब के ड्राइवर ने चाकू की नोक पर उससे दुष्कर्म किया। हालांकि महिला ने मेडिकल जांच कराने से इंकार कर दिया, लेकिन पुलिस ने दुष्कर्म के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया है। यह भी हममें से किसी से छिपा नहीं है कि दर्ज किए गए मामलों का क्या होता है। इनमें से अधिकांश मामलों में सुबूतों और गवाहों के न होने के चलते अपराधी बच जाते हैं या फिर वह पर्यटक विदेशी महिला होने के कारण केस को ज्यादा लंबे समय तक खींच नहीं पाती और अपराधी खुलेआम छुट्टे घूमते रहते हैं।
अगर यह देखें कि विदेशी महिलाओं से बलात्कार के ज्यादातर मामले कहां होते हैं तो हमें पता चलता है कि भारत के लोकप्रिय माने-जाने वाले पर्यटन स्थल ही इस तरह की शर्मनाक घटनाओं के सबसे ज्यादा गवाह बनते हैं। गोवा, मनाली, राजस्थान, पुष्कर, आगरा, दिल्ली और केरल इस मामले में सबसे आगे कहे जा सकते हैं। विडंबना यह है कि किसी भी विदेशी महिला से बलात्कार की घटना के बाद जो तर्क और सफाइयां दी जाती हैं, वे बेहद बचकानी लगती हैं।
मिसाल के तौर पर पिछले साल गोवा में हुए एक बलात्कार के बाद वहां के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ने कहा था, मैं निश्चित रूप से इस घटना को गलत कहूंगा, लेकिन साथ ही मैं यह भी कहूंगा कि यह कोई ट्रैंड नहीं है। वहां के स्थानीय अधिकारियों का तर्क था कि बलात्कार की घटनाओं में वृद्घि का मूल बढ़ती पर्यटकों की संख्या में छिपा है। गौरतलब है कि गोवा के खूबसूरत समुद्री तट विदेशी पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं। कमोबेश यही बात आगरा और राजस्थान के बारे में कही जा सकती है। आंकड़े बताते हैं कि यहां आने वाले हर तीन विदेशी पर्यटकों में से एक राजस्थान जरूर जाता है, लेकिन यह तर्क भी गले नहीं उतरता, क्योंकि अगर ऐसा ही है तो प्रशासन टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इतने प्रयास क्यों कर रहा है। मूल प्रश्न यही है कि ‘अतिथि देवो भव’ की हमारी खूबसूरत परंपरा किस तरह अतिथि को आहत करने की शर्मनाक परंपरा में तब्दील होती जा रही है? इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले दो दशकों में भारत का पर्यटन उद्योग तेजी से बढ़ा है। आंकड़े बताते हैं कि गोवा में 2007 तक 22 लाख विदेशी पर्यटक आ रहे थे और इनकी संख्या हर वर्ष बढ़ रही है। इसी तरह आगरा में हर साल दस लाख से अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं। हिमाचल प्रदेश में विदेशी पर्यटकों की संख्या पिछले पांच वर्षों में तीन गुणा बढ़ी है। केंद्र, राज्य सरकारें और इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आईटीडीसी) लगातार इस बात के प्रयास कर रहे हैं कि पर्यटन उद्योग को तीव्र गति से बढ़ाया जाए, लेकिन इसके समानांतर विदेशी पर्यटकों-खासतौर पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई उचित प्रबंध नहीं किए गए। पिछल वर्ष दिल्ली में सभी राज्यों के पर्यटन मंत्रियों की एक बैठक बुलाई गई थी और उनसे कहा गया था कि सभी महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थलों पर टूरिस्ट पुलिस की व्यवस्था की जाए, लेकिन केवल दस राज्यों ने ऐसा किया। जाहिर है, पर्यटकों की सुरक्षा एक अहम मुद्दा है, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पर्यटकों को हर जगह तो सुरक्षा नहीं दी जा सकती। विदेशी महिलाओं के साथ इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए जरूरी है मानसिकता का बदलना और उन कारणों को दूर करना, जो बलात्कार की मानसिकता को जन्म देते हैं। वे कारण क्या हैं?
भारत में साक्षरता दर बढ़ रही है, लोग समृद्घ हो रहे हैं, वैश्विक हो रहे हैं और भारत में पश्चिमी मूल्य आ रहे हैं। लेकिन साथ ही पारिवारिक मूल्य टूट रहे हैं और महिलाएं अपने ही घर में सुरक्षित नहीं रही हैं। बॉलीवुड फिल्मों में और विज्ञापनों में महिलाओं को लगातार एक सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में पेश किया जा रहा है। इसके साथ ही पोर्न उद्योग भी अपना आकार बढ़ा रहा है। सैटेलाइट चैनल्स पर किसी तरह की कोई बंदिशें नहीं हैं। इनमें नग्नता को फैशन ट्रैंड और उच्च जीवन शैली के प्रतीक के रूप में पेश किया जा रहा है। इसने जाहिर तौर पर महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में इजाफा किया है। यह अकारण नहीं है कि हमारे देश में हर बीस सेकेंड के बाद कहीं न कहीं किसी न किसी लड़की के साथ बलात्कार होता है। ऐसे में बलात्कार करने वाला यह नहीं देखता कि वह विदेशी के साथ बलात्कार कर रहा है या भारतीय के साथ।
चर्चित मानव व्यवहारवादी विदेशी महिलाओं के साथ बलात्कार के पीछे एक और कारण देखते हैं। उनका कहना है, पुरुष काले रंग की बजाय गोरे रंग को प्राथमिकता देते हैं। वह आगे कहते हैं कि अगर कोई इस बात को परखना चाहे तो वह वैवाहिक विज्ञापनों को देख सकता है, जिसमें पुरुष गोरी लड़कियों को पत्नी बनाने के पक्ष में दिखाई देते हैं।
कारण चाहे कुछ भी हों, लेकिन ये घटनाएं निहायत शर्मनाक हैं। फिल्म स्टार आमिर खान भी इनको लेकर चिंतित हैं। उन्होंने राकेश ओमप्रकाश मेहरा के साथ मिल कर एक लघु फिल्म की है, जिसमें विदेशी पर्यटकों को भारत आने के लिए आमंत्रित किया गया है और यह दिखाने की कोशिश की गई है कि भारत में आज भी अतिथि को देवता माना जाता है। लेकिन क्या इस सबसे विदेशी महिलाओं के साथ होने वाले अपराध रुक जाएंगे? शायद नहीं। उसके लिए हमें अपनी मानसिकता को बदलना होगा, अन्यथा देव भूमि पर अतिथि इसी तरह आहत होते रहेंगे।

सुधांशु गुप्त

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