Saturday, June 5, 2010

वित्तीय संस्थाओं की निगाहें महिलाओं पर

इसमें कोई संदेह नहीं है कि महिलाओं के लिए जीवन कभी भी आसान नहीं रहा-चाहे ऑफिस के एयरकंडीशंड में बैठकर काम करना हो या फिर घर की चारदीवारी में बैठकर पुरानी पड़ चुकी परंपराओं का निर्वाह करना। कई बार महिलाओं के साथ ऐसा भी होता है कि अपने परिवार की देखभाल के लिए उन्हें अपने करियर को तज देना पड़ता है। शायद यही एक वजह है कि महिलाओं के लिए वित्तीय मामलों का प्रबंधन पुरुषों की तुलना में थोड़ा जटिल होता है। लेकिन सामाजिक और आर्थिक बदलावों ने पिछले कुछ वर्षो में इस स्थिति में भी क्रांतिकारी बदलाव किये हैं। अब वित्तीय संस्थाएं महिलाओं को अपना टारगेट बना रही हैं, उन्हें आकर्षित करने के लिए तमाम तरह की योजनाएं चला रही हैं। कहीं बैंक उन्हें अपने साथ जोडम्ने के लिए कार्डस दे रहे हैं तो कहीं महिलाओं में उद्यमशीलता को बढमने के लिए विशेष सैल बनाये जा रहे हैं। आइये जरा इन सहूलियतों पर नजर डालते हैं, जो महिलाओं को आकर्षित करने के लिए बैंक दे रहे हैं।
सेविंग अकाउंटटेलीविजन विज्ञापनों में महिलाओं को सेविंग अकाउंट खोलने के लिए प्रेरित किया जाता है। हालांकि सेविंग अकाउंट दूसरे अकाउंट्स से बहुत ज्यादा अलग नहीं हो सकता। लेकिन फिर भी महिलाओं को विशेष रियायतें देते कुछ सेविंग अकाउंट अलग होने की कोशिश करते हैं। मिसाल के तौर पर कोई बैंक महिलाओं को अपने बैंक में सेविंग अकाउंट खोलने के साथ उसके अवयस्क बच्चे का अकाउंट जीरो बैलेंस के साथ खोलने की सुविधा देता है। कुछ दूसरे बैंक महिलाओं को कम से कम बैलेंस और कम ब्याज दरों की छूट देते हैं, तो कुछ बैंकों के पास महिलाओं को लुभाने के लिए मुफ्त डेबिट या क्रेडिट कार्ड का लॉलीपॉप है। ये कार्ड कुछ विशेष फायदों के साथ उपलब्ध होते हैं। मिसाल के तौर पर एक्िसस बैंक का डेबिट कार्ड पचास हजार तक की ज्वेलरी में बीमे की सुविधा देता है।
लोन्समहिलाओं को लोन की सुविधाएं मिलना एक सकारात्मक संकेत है। इसका अर्थ यह है कि वित्तीय संस्थाएं चाहती हैं कि महिलाएं ण लेकर अपना उद्यम शुरू करें और उनमें उद्यमशीलता बढ़े। इस मकसद से कुछ बैंकों ने एंटरप्रेनरशिप सेल्स भी बनाये हैं। ये सेल महिलाओं को स्मार्ट फाइनेंसिंग जैसे ऑफर देते हैं। मिसाल के तौर पर कैनरा बैंक ने विभिन्न शहरों में महिलाओं के लिए शाखाएं और एंटरप्रेनरशिप डेवलपमेंट सेंटर खोले हैं। इसी तरह बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने महिलाओं के लोन लेने पर अपने नियमों को कुछ लचीला बनाया है। इसी प्रतियोगिता के बीच ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने महिलाओं को लोन लेने पर 0.5 प्रतिशत की छूट दी है। इसी कडम्ी में बैंक ऑफ ट्रेवनकोर ने महिलाओं को मिनिमम बैलेंस 250 रुपए रखने की छूट के साथ ही उनके लिए एक योजना शुरू की है। इसके अनुसार, महिलाओं को पांच से सात साल तक के लिए 25 लाख रुपये तक का महज आठ फीसदी सालाना की ब्याज दर से दिया जाता है। ज्वेलरी के प्रति महिलाओं के आकर्षण से भी बैंक वाकिफ हैं। शायद यही वजह है कि कुछ बैंक महिलाओं को गोल्ड और ज्वेलरी खरीदने के लिए भी लोन देते हैं और इनकी ब्याज दर एजुकेशन लोन से भी कम होती है। लडकियों की शिक्षा के लिए दिये जाने वाले पर भी 0.5-1 फीसदी की छूट भी बैंक दे रहे हैं। लेकिन इन सारे आकर्षणों के बावजूद महिलाओं को किसी भी छूट का लाभ उठाने से पहले प्रोसेसिंग फीस, रेट ऑफ इंट्रस्ट और लोन को वापसी की शर्तो को ध्यान से देख लेना चाहिए।
इंश्योरेंसतेजी से आर्थिक आजादी की ओर बढ़ रही आज की महिलाएं खुद किसी पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं होना चाहतीं और ना ही वे ये चाहती हैं कि उनके पति उन पर निर्भर हों। इसलिए बीमा उन्हें भी आकर्षित कर रहा है। यही वजह है कि बीमा कंपनियां विशेष रूप से महिलाओं को अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए अनेक योजनाएं चला रही हैं। किसी गंभीर बीमारी के अलावा बीमा कंपनियां महिलाओं के लिए रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी और कांप्लीकेशन ऑफ प्रेग्नेंसी को भी बीमे के तहत कवर कर रही हैं। कई बैंकों ने मिस कॉन्फीडेंट प्लान जैसी योजनाओं में महिलाओं के लिए नये फायदे जोड़े हैं। जाहिर है वित्तीय कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं कहीं ना कहीं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि अब महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं और वित्त से जुड़े फैसले करने में भी उनकी अहम भूमिका है। अन्यथा बाजार उन पर कभी डोरे डालने की कोशिश नहीं करता!
प्लास्टिक कार्डआज प्लास्टिक मनी का जमाना है और अनेक बैंकों ने महिलाओं को लुभाने के लिए इस मनी का भी खूब इस्तेमाल किया है। एचडीएफसी बैंक ने ईजी शॉप वुमंस एडवांटेज कार्ड की शुरुआत की है। यह कार्ड महिलाओं को एक साल के लिए लॉकर लेने पर पचास फीसदी की छूट दे रहा है। साथ ही गोल्ड की खरीदारी पर मुफ्त बिलों के भुगतान की सेवा भी उपलब्ध करा रहा है। कुछ बैंक विभिन्न खरीदारियों पर कैश बैक स्कीम चला रहे हैं। इन योजनाओं के तहत एक निश्चित राशि की खरीदारी के बाद महिला उपभोक्ता को कुछ फीसदी पैसा वापस मिल जाता है। लेकिन महिलाओं को इन ऑफर्स पर आंखें मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए और इन्हें लेने से पहले इनकी पूरी जांच कर लेनी चाहिए।
सुधांशु गुप्त

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