Sunday, June 6, 2010

आईपीएल का क ख ग कांटा लगा


पांच साल पहले की बात है। ग्यारह मार्च 2005। भारत और पाकिस्तान के बीच चंडीगढ़ में टेस्ट मैच चल रहा था। टेस्ट मैच के बीच ही पत्रकारों को यह सूचना मिली कि लंच में एक प्रेस कांफ्रेंस है, जिसे ललित मोदी संबोधित करेंगे। पत्रकारों का दल सोचने लगा कि आखिर यह मोदी हैं कौन?
मोदी ब्लैक सूट, सलीके से बनाए हुए बाल और ब्रांडेड चश्मा पहन कर जब प्रेस कांफ्रेंस में आए तो वह काफी नर्वस लग रहे थे। आधे घंटे की इस प्रेस कांफ्रेंस में मोदी ने यह कहा, भारत में क्रिकेट दो बिलियन डॉलर की सालाना मार्केट है। उन्होंने कहा कि हमारे क्रिकेटरों को उतना ही पैसा मिलना चाहिए, जितना अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ियों को मिलता है।
पता नहीं किसी ने मोदी की इस बात को गंभीरता से लिया था या नहीं, लेकिन संयोग से इसके कुछ ही माह बाद डालमिया की विदाई हो गई और बीसीसीआई में शरद पवार सत्ता का केंद्र बन गये। और तीन साल में ही बोर्ड का सालाना रिवेन्यू एक बिलियन डॉलर दिखा रहा था, लेकिन पूरी फिल्म अभी बाकी थी। वर्ष 2008 में जब इंडियन क्रिकेट लीग की शुरुआत हुई तो इसे काउंटर करने के लिए मोदी ने इंडियन प्रीमियर लीग की अपनी अवधारणा सामने रख दी। बोर्ड से हरी झंडी मिलने के बाद काम शुरू हो गया।
क्या है आईपीएलयह निजी स्वामित्व वाली आठ टीमों (सीजन 4 में दस टीमों) की एक लीग है, जो ट्वेंटी 20 मैच खेलती है। इस लीग को चलाने की जिम्मेदारी आईपीएल की है। आईपीएल एक स्वायत्त निकाय है, जो बोर्ड ऑफ कंट्रोल फोर क्रिकेट इन इंडिया के तहत अलग बजट में काम करती है। इसकी गवर्निंग काउंसिल में चेयरमैन ललित मोदी, वाइस चेयरमैन निरंजन शाह, प्रमुख पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री, मंसूर अली खान पटौदी, शशांक मनोहर, एच. श्रीनिवासन, एम. पी. पांडे, संजय जगदले, चिरायु अमीन, अरुण जेटली के अलावा बोर्ड द्वारा नियुक्त सदस्य राजीव शुक्ला, आई.एस. बिंद्रा और फारुक अब्दुल्ला शामिल हैं।
आईपीएल का आगाजललित मोदी आईपीएल के चेयरमैन और कमिश्नर बन गए। आठ टीमों-मुंबई इंडियंस, कोलकाता नाइट राइडर्स, डेक्कन चार्जर्स, दिल्ली डेयरडविल्स, किंग्स इलेवन पंजाब, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू, राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स-की फ्रेंचाइजी बेची गईं और खिलाड़ियों की खरीद-फरोख्त हुई। कुछ ही माह में यह अरबों डॉलर का कारोबार बन गया और खिलाड़ी अरबपति हो गए।
आईपीएल का पहला सीजन खासा सफल रहा। इसी सीजन में ललित मोदी और बीसीसीआई को भी यह समझ में आ गया कि उन्हें आईपीएल के रूप में दूध देने वाली एक और गाय मिल गई है, लेकिन आईपीएल 2 शुरू होने से पहले ही सरकार ने सुरक्षा के मद्देनजर इसे भारत में कराए जाने से इंकार कर दिया। ललित मोदी ने फिर भी हार नहीं मानी। उन्होंने पंद्रह दिनों के भीतर ही पूरे आयोजन को दक्षिण अफ्रीका में शिफ्ट कर दिया। वहां भी यह आयोजन पूरी तरह से सफल रहा। आईपीएल के इन दो सत्रों में मोदी ने दिखाया कि क्रिकेट को दुनिया के किसी भी कोने में बेचा जा सकता है और यह सबसे ज्यादा महंगा बिकने वाला खेल है। यही नहीं, मोदी ने क्रिकेट में से क्रिकेट को निकालकर उसमें ग्लैमर, पार्टीज, चीयरगर्ल्स, डांस का तड़का लगाया। दो घंटे के इन मैचों में खचाखच भरे स्टेडियम, पवेलियन में बैठे सिलेब्रेटीज यह साबित करने के लिए पर्याप्त थे कि मोदी का यह वेंचर पूरी तरह सफल रहा है।
आईपीएल का बिजनेस ऑपरेंडी क्या है?ललित मोदी ने सीजन 3 तक आते आते कमाई दोगुनी कर दी। उन्होंने सिनेमा हॉल्स और बार में स्क्रीनिंग के अधिकार 330 करोड़ रुपये में बेचे। इसी तरह इंटरनेट अधिकार, मैच के बाद होने वाली पार्टियां स्पांसर कराईं, कलर्स के साथ करार किया, मोबाइल राइट्स बेचे और ग्राउंट स्पांसरशिप बेची।
सबसे ज्यादा चमत्कारिक काम उन्होंने तब किया जब स्टेडियम स्क्रीन पर ही ओवरों के बीच में विज्ञापन का समय भी बेच दिया। गौरतलब है कि आईपीएल के पास सेटमेक्स पर 150 सेकेंड का एयरटाइम होता है और ये विज्ञापन टीवी पर भी कवर होते हैं। यानी 6 लाख रुपये प्रति दस सेकेंड की दर से 90 लाख रुपये प्रति मैच। कुल साठ मैचों के 54 करोड़ रुपये।
इसी तरह उन्होंने स्ट्रेटेजिक टाइम आउट के लिए ऑन ग्राउंड स्पांसरशिप और एक नया प्रायोजक तलाश लिया। एक अनुमान के मुताबिक आज आईपीएल इंडस्ट्री लगभग चार अरब डॉलर के आसपास पहुंच चुका है। इसके बावजूद ललित मोदी को इस बात का अफसोस है कि सबसे ज्यादा रन बनाने वाले और सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले को दी जाने वाली नारंगी और बैंगनी रंग की कैप पर विज्ञापनों के अधिकार नहीं बेच पाए।
टीमों की कमाई का क्या है जरिया सभी टीमों को लीग द्वारा प्रसारण और तमाम तरह के राइट्स बेचने से जो आय होगी उसमें एक हिस्सेदारी मिल रही है। साथ ही टीमें व्यक्तिगत रूप से स्पांसर तलाश कर सकती हैं। मिसाल के तौर पर सीजन 1 में ब्रांडों की कुल संख्या चालीस थी, जो सीजन 2 में 69 और सीजन तीन में बढ़कर 80 हो गई। गौरतलब है कि पिछले सीजन में कोलकाता नाइटराइडर्स सबसे पिछड़े स्थान पर रही थी और इसके बावजूद यह कहा गया था कि उसने सबसे ज्यादा कमाई की थी। उसकी एक वजह यही थी कि उसके पास सबसे ज्यादा प्रायोजक थे। यानी पूरा खेल प्रायोजकों पर ही निर्भर करता है। खिलाड़ियों द्वारा पहने जाने वाली ड्रेसेस से लेकर हर चीज स्पांसर की जा सकती है।
सट्टेबाजी से हो सकती है दोहरी कमाईकहा जाता है कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, लेकिन मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी ने इस बात को बारबार गलत साबित किया है। आईपीएल 3 समाप्त होते-होते यह बात फिर सामने आई है कि आईपीएल के सभी मैच फिक्स थे।
एक अखबार ने आईटी (इनकम टैक्स) की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि आईपीएल की अधिकांश मैच फिक्स थे और फिक्सिंग में वरिष्ठ खिलाड़ियों से लेकर खुद ललित मोदी तक शामिल हैं। (शुक्र है सचिन, गांगुली और द्रविड़ इन आरोपों से बरी माने गए हैं) मैच फिक्सिंग की बात एक क्षण के लिए भूल भी जाएं तो सट्टेबाजी से तो कोई भी इनकार नहीं कर सकता।
एक अनुमान के मुताबिक आईपीएल के हर मैच में 300-500 करोड़ रुपये का सट्टा लगता है। कुल 60 मैचों में आप सोच सकते हैं कि कितने का सट्टा लगा होगा। जब टीमों का स्वामित्व निजी हाथों में है तो मैच का परिणाम पहले तय करना कोई मुश्किल नहीं है-खासतौर पर तब जबकि किसी भी टीम को एक मैच हारने का जीतने के मुकाबले कहीं ज्यादा पैसा मिलता हो। हालांकि आईपीएल में मैच फिक्सिंग के आरोप अभी साबित होने हैं, लेकिन आशंकाओं को तो बल मिला ही है।
मोदी की उल्टी गिनती शुरूललित मोदी की उल्टी गिनती उसी दिन से शुरू हो गई थी, जब उन्होंने आईपीएल के सीजन 2 को साउथ अफ्रीका ले जाने का फैसला किया था। केंद्र को यह बात समझ नहीं आ रही थी कि आखिर आईपीएल को कराया जाना इतना जरूरी क्यों था? तभी से सरकार में बैठे कुछ मंत्री ललित मोदी को घेरने की फिराक में थे। और मोदी ने खुद ही उन्हें यह मौका दिया।
ग्यारह अप्रैल को प्रात: 3:16 बजे ललित मोदी ट्विटर पर आईपीएल की नई टीम कोच्चि के शेयरहोल्डर्स के नाम बता रहे थे। इसी में उन्होंने सुनंदा पुष्कर का नाम भी उजागर कर दिया, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें मुफ्त में कोच्चि टीम में 19 फीसदी की हिस्सेदारी मिली है, (जिसे उन्होंने बाद में वापस करने की बात कही है)।
यह साफ है कि पूर्व मंत्री शशि थरूर को कोच्चि टीम के मालिक रांदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड लि़ का मेंटर बताया जाता है। साथ ही सुनंदा की थरूर से आत्मीयता भी किसी से छिपी नहीं है। ललित मोदी का सुनंदा के नाम का ऑनलाइन खुलासा करना विवादों की शुरुआत था।
रांदेवू से जुड़े सूत्रों का आरोप है कि मोदी ने सुनंदा का नाम सार्वजनिक करके अनुबंध की शर्तों को तोड़ा है। यह भी आरोप है कि मोदी आईपीएल को कोच्चि के बजाय अहमदाबाद ले जाना चाहते थे, क्योंकि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके रिश्ते बताये जाते हैं। बहरहाल, ललित मोदी के ट्विटर ने आग में घी का काम किया। पहले शशि थरूर को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा और उसके बाद से एक के बाद बड़े नाम इसमें शामिल होते जा रहे हैं।
ललित मोदी पर क्या हैं आरोपललित मोदी पर वर्तमान परिदृश्य में जो आरोप हैं, उनमें प्रमुख हैं तीन फ्रैंचाइजी में उनकी नाम-बेनामी हिस्सेदारी होना। आईपीएल मैच फिक्सिंग में शामिल होना। अपने कई रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाना। इससे पहले भी ललित मोदी पर कई किस्म के गंभीर आरोप हैं।
मसलन, उन्होंने नागौर में गैर कानूनी ढंग से जमीन खरीदी और नागौर जिला क्रिकेट संघ के सदस्य बने। वसुंधरा राजे सरकार ने एक आईएएस अधिकारी संजय दीक्षित के जरिए राजस्थान खेल कानून इस तरह से बदलवाया कि वे जिसे चाहें जितवा सकें। इसके बाद ही किशोर रूंगटा को आरसीए के अध्यक्ष के चुनाव में हराना आसान हो गया था।
एसएमएस स्टेडियम की क्रिकेट अकादमी में उन्होंने होटल बनवा दिया। शादी समारोह और पार्टियां हुईं, 2007 में आईपीएल मैच के दौरान तिरंगे पर शराब रखवाई। ललित मोदी की मदद से वसुंधरा राजे ने लंदन की फ्रीमोट स्ट्रीट में 500 करोड़ रुपये का घर खरीदा। हालांकि इनमें से अभी कोई भी आरोप साबित नहीं हुआ है, लेकिन मोदी ने इनका खंडन भी नहीं किया है।
पटेल और पवार भी घेरे मेंकेंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल पर भी उंगलियां उठी हैं। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले की एक फ्रैंचाइजी में हिस्सेदारी बताई जा रही है। कहा जा रहा कि पवार से बेहतर रिश्तों के चलते ही मोदी ने उनकी मदद की।
हालांकि सुप्रिया सुले ने साफ कहा है कि उनका और उनके परिवार के किसी भी रिश्तेदार का किसी फ्रैंचाइजी से कोई लेना देना नहीं है। पवार को मोदी का सबसे बड़ा सपोर्टर माना जाता है। पूर्णा पटेल पर आरोप हैं कि उन्होंने आईपीएल से जुड़ी जानकारियां अपने पिता प्रफुल्ल पटेल को मेल कीं। पूर्णा आईपीएल की हॉस्पिटेबिलिटी मैनेजर हैं।
इसके अलावा, उन पर आरोप यह भी है कि वह एयर इंडिया की दिल्ली-मुंबई फ्लाइट को जयपुर ले गईं ताकि आईपीएल खिलाड़ियों को वहां से पिक किया जा सके। जाहिर है उन्होंने भी आरोपों को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि जो भी डाक्यूमेंट्स मेल किए वह बॉस के कहने पर ही भेजे थे।
सड़क से संसद तक उठ रहे हैं सवालगलियों और चौराहों तक पर आईपीएल मैचों के दौरान होने वाली सट्टेबाजी की गूंज अब संसद तक पहुंच गई है। आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आ रहे हैं कि आईपीएल ने सट्टेबाजी को बाकायदा संस्थागत रूप दिया।
संसद में भी विपक्ष ने इस मसले पर हंगामा मचाया और दो मंत्रियों के नाम इस मामले से जुड़े होने पर उनके इस्तीफे की मांग की। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के फोन टैपिंग को लेकर भी जबरदस्त हंगामा हुआ। भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने इस कांड को भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। सूत्र तो यहां तक दावा करते हैं कि इस कांड का असर यूपीए सरकार तक की बलि ले सकता है। लेकिन लगभग 60 हजार करोड़ रुपये के इस कारोबार में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हेराफेरी, आर्थिक अपराध, धोखाधड़ी और बेइमानियों की पहली परत खुलने से जब इतना हंगामा हो रहा है तो यह आसानी से सोचा जा सकता है कि जब इस सारे खेल के पीछे के खिलाड़ी सामने आएंगे तो क्या स्थिति होगी? साथ ही इससे कुछ सवाल भी उठते हैं।
पहला यह कि तीन साल तक यह सब कुछ चलता रहा, तब सरकार क्या कर रही थी? दूसरे, फ्रेंचाइजी नीलामी की शर्ते क्यों बदली गईं, इससे किसको फायदा पहुंचाया गया? तीसरे, प्रसारण अधिकार देने में किसने कितनी कमीशन खाई?
चौथे, क्या यह सारा खेल केवल ललित मोदी के इशारे पर ही चलता रह सकता था? पांचवे, इस खेल के असली खिलाड़ी और कौन-कौन हैं? क्या कभी उन्हें सचमुच सजा मिल भी पाएगी? या केवल ललित मोदी को आईपीएल के चेयरमैन पद से हटाकर इस कांड की भी लीपापोती कर दी जाएगी? क्या क्रिकेट गरिमापूर्ण मूल स्वरूप में लौट पाएगा? ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब फिलवक्त तो भविष्य के गर्भ में ही छिपे हैं, देखना है कितने सवालों के सही जवाब जनता तक पहुंच पाते हैं।

सुधांशु गुप्त

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