Saturday, June 5, 2010

मंदी मंद न होने दें जीवन की रफ्तार

मंदी ने लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया है। ऐसे परिवारों की उन महिलाओं को और भी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जो खुद वर्किग हैं। आर्थिक संकटों के साथ-साथ उन्हें मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है। लेकिन यदि वे समझदारी का परिचय दें तो इन समस्याओं से आसानी से उबर सकती हैं।
पूरी दुनिया इस समय जबरदस्त आर्थिक मंदी से गुजर रही है। भारत भी इसका अपवाद नहीं है। मंदी के जो बाहरी प्रभाव नजर आ रहे हैं, वे बताते हैं कि लाखों लोग इस मंदी में बेरोजगार हो गये हैं, लाखों लोगों की तनख्वाहें कम हो गयी हैं और वे लाखों लोग, जो रोजगार की तलाश में थे, उन्हें रोजगार मिलना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। लेकिन यही मंदी आपसी रिश्तों-खासतौर पर पति-पत्नी के रिश्तों-को कितना प्रभावित कर रही है, इस पर कोई व्यवस्थित अध्ययन सामने नहीं आया है, लेकिन इतना साफ है कि यह असर बहुत गहरा है। फिर भी जो अध्ययन हुए हैं, वे कुछ बातों की ओर इशारा करते हैं। एक अध्ययन बताता है कि जिनके पतियों की नौकरी छूट गयी है, उनमें से पचास फीसदी महिलाओं को लगता है कि वे खुद घर की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए अपने पतियों से ज्यादा मेहनत कर रही हैं। पचास से कुछ कम प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि छंटनी होने के बाद उनके पति घर पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और घर के कामों में उनकी रुचि बढ़ गयी है। 46 फीसदी लोगों के घरों में झगड़े ज्यादा होने लगे हैं। 44 फीसदी पत्नियों का मानना है कि नौकरी जाने के बाद दोनों के बीच सेक्स संबंध कम बनते हैं और 30 फीसदी महिलाएं ईमानदारी से यह स्वीकारती हैं कि अब वे अपने पति के प्रति पहले की तरह आकर्षित नहीं होतीं।
एक और तथ्य यह है कि इस मंदी के बाद महिलाओं की बेरोजगारी दर में जहां 1.6 फीसदी का इजाफा हुआ है, वहीं पुरुषों का प्रतिशत 3.6 है यानी यह साफ है कि इस मंदी से नौकरीपेशा पुरुषों पर ज्यादा असर पड़ रहा है। जहां घर में केवल पुरुष ही एकमात्र कमाने वाला था, वहां पूरे घर को आर्थिक संकटों से गुजरना पड़ रहा है। लेकिन जहां पति-पत्नी दोनों वर्किंग थे और पति की नौकरी छूट गयी है, वहां संकट मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक ज्यादा है। पति नौकरी जाने के बाद पत्नी के सामने खुद को अपमानित महसूस करता है। उसे लगता है कि वह घर का प्रमुख होने के नाते घर को पालने-पोसने की जिम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ रहा है। वह अपनी भावनाओं को अपनी पत्नी से भी शेयर नहीं कर पाता, इस डर से कि ऐसा करने से उसके भीतर और ज्यादा अपराध-बोध पैदा होगा। इस तरह नौकरी का जाना दोनों के बीच दरार का कारण बन सकता है, बन रहा है।
पति की नौकरी छूटने पर महिलाओं की प्रतिक्रियाएं अलग-अलग हो सकती हैं। वे अपने पति पर ज्यादा क्रोध करने लगेंगी, उनके पति के प्रति आकर्षण में कमी आ जाएगी, पति के प्रति उनके सम्मान में कमी आ जाएगी और वे अपने पति के साइके को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित रहने लगेंगी। इसकी एक मनोवैज्ञानिक वजह यह है कि प्रोवाइडर की भूमिका में पति ही होता है और महिलाएं भी यही अपेक्षा करती हैं कि घर चलाने की जिम्मेदारी पति की है और उनकी बायोलॉजिकल और साइक्लॉजिकल स्थितियां उन्हें इससे इतर सोचने की इजाजत नहीं देतीं।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यदि इस दौर में अपनी भावनाओं, प्रतिक्रियाओं और तनाव को सही ढंग से प्रोसेस न किया जाए तो ये स्थितियां किसी दंपती को तलाक के रास्ते तक ले जा सकती हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यदि इस दौर में अपनी भावनाओं, प्रतिक्रियाओं और तनाव को सही ढंग से प्रोसेस न किया जाए तो ये स्थितियां किसी दंपती को तलाक के रास्ते तक ले जा सकती हैं। इस स्थिति से निबटने के लिए मनोवैज्ञानिक कुछ सकारात्मक रास्ते सुझाते हैं, जिन पर चल कर इस अनचाही मंदी और रिश्तों पर उसके असर से निबटा जा सकता है और उसे कम किया जा सकता है।
संवाद : पति-पत्नी के बीच आपसी संवाद बेहद जरूरी है। पति की नौकरी चली गयी है तो पत्नी को चाहिए कि संवाद किसी भी हालत में समाप्त न हो। दोनों एक दूसरे से चीजों को शेयर करें और लगातार इस बात पर चर्चा करें कि क्या हो रहा है और क्या होगा। महिलाओं को चाहिए कि वे अपने डर और कुंठाएं (यदि कोई है) पति के सामने प्रकट न करें। पति के सामने उन्हें सकारात्मक बातें ही करनी चाहिएं।
मजबूत बनें: आप तभी अपने पति को भावनात्मक सपोर्ट दे सकती हैं, जब आप मजबूत हों। इसके लिए जरूरी है कि पहले तो आप अपनी देखभाल खुद करें। एक्सरसाइज करें, योगा करें और मानसिक रूप से मजबूत बनें। यदि जरूरत महसूस करती हैं तो अपने बाहरी दोस्तों और रिश्तेदारों की भी मदद ले सकती हैं। पति के सामने हर समय निराशा की बातें न करें। उन्हें यह समझाएं कि जीवन में इस तरह की स्थितियां आती रहती हैं और दोनों मिलकर ही इन स्थितियों का सामना कर सकते हैं।
आपने उससे शादी क्यों की: याद करिये कि जब आपने उन्हें अपने पति के रूप में चुना था तो आपको उनमें क्या-क्या अच्छी बातें दिखाई दी थीं। क्या वह बहुत हैंडसम हैं, ही मैन हैं, उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा है। जाहिर है आपने उनसे शादी केवल उनकी नौकरी देख कर ही नहीं की होगी। तो संकट की इस घड़ी में पति के दूसरे गुणों को तवज्जो दीजिए, ताकि नौकरी जाने से उनके भीतर जो अपमान और शर्मिंदगी का भाव पैदा हुआ है, वह कम हो और उनका आत्मविश्वास बना रहे। उन्हें इस तरह के मौके दीजिए कि वे अपनी ‘मैनलीनैस’ का प्रदर्शन कर सकें।
वर्कआउट टुगैदर : एक्सरसाइज तनाव दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। दोनों मिल कर एक साथ एक्सरसाइज कीजिए। इससे दोनों का अवसाद और तनाव दूर होगा।
क्रिएटिव बनिये : टाइम पास करने के लिए क्रिएटिव तरीके तलाश करिये। मसलन पुरानी फोटो अलबम को सही कीजिए, पुरानी फैमिली वीडियोज देखिये और कभी-कभी शाम को यूं ही सड़क पर घूमने निकलिए। याद रखिए पति इस समय आपकी समय न दे पाने की सारी शिकायतें दूर कर सकता है।
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं : अपने घर में आप एक ऐसा बॉक्स बना सकती हैं, जिसमें किसी एक विशेष दिन पति की तारीफ में कोई रोमांटिक बात कागज के टुकड़े पर लिख कर डाल दें। इससे दोनों के बीच आत्मीयता बढ़ेगी और पति को भी अच्छा लगेगा। इस तरह आप पति को होने वाली शर्मिंदगी से बचा सकती हैं और मंदी में भी जीवन की रफ्तार को बनाए रख सकती हैं। सुधांशु गुप्त

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