Sunday, June 6, 2010

2010 में शबाब पर होगा सोशल एक्टिविज्म

एसएमएस, ब्लॉग, फेसबुक और ट्विटर जैसे ऑनलाइन मंच 2010 में सामाजिक सक्रियता और जागरूकता को और बढ़ाएंगे। यह अचानक नहीं है कि समाज में होने वाले अत्याचारों के खिलाफ लोग फेसबुक पर एकत्रित हो रहे हैं, बल्कि जनजागरण के एक नए आंदोलनों को जन्म दे रहे हैं। गुजरे वर्ष इसके प्रमाण रहे हैं कि सोशल एक्टिविज्म के चलते ही रुचिका गिरहोत्र, जेसिका लाल, प्रियदर्शन मट्टू, नितीश कटारा और उपहार त्रसदियों में घिरे अपराधी कानून के चंगुल में फंसे। ऐसा नहीं कि केवल अपराधियों को सजा दिलाने में ही यह सोशल एक्टिविज्म दिखाई पड़ रहा है। जब फिल्म अभिनेत्री नंदना सेन आपको मोबाइल पर सेव गर्ल चाइल्ड से संबंधित एसएमएस करती है तो वे एक नए अर्थों में लड़कियों को बचाने के लिए मुहिम चलाती दिखाई पड़ती हैं। कमोबेश इसी अंदाज में जागो री नामक एक गैर सरकारी संगठन ने टाटा टी से युवाओं को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए जागरूक करने की एक मुहिम चलाई है। और इससे एकदम अलग अंदाज में वुमन पावर कनेक्ट नामक एक अन्य गैर सरकारी संगठन महिलाओं को लीडरशिप ट्रेनिंग देने के लिए एक ऑनलाइन प्रोग्राम चला रहा है, जिसमें देश के दूर-दराज इलाकों से महिलाएं लीडर बनने के लिए आगे आ रही हैं। यह इस बात का संकेत है कि 2010 महिलाओं को जागरूक करने और न्याय दिलाने के लिए चलाए जा रहे अभियानों का गवाह बनेगा। ठीक उसी तरह जिस तरह प्रियदर्शन मट्टू मामले में एक्टिविस्ट आदित्य राज कौल ने एसएमएस के जरिए जस्टिस फॉर प्रियदर्शन मट्टू नामक अभियान चलाया था। नये वर्ष में मोबाइल, ऑनलाइन मंच, ब्लॉग्स, सूचना का अधिकार सोशल एक्टिविज्म के नये हथियार साबित होंगे और यह साबित होगा कि इनका इस्तेमाल युवा केवल दोस्ती और प्रेमालाप के लिए ही नहीं करता। यह भी तय है कि सोशल एक्टिविज्म का इस साल अपने शबाब पर होना इशारा होगा इस बात का कि अब किसी रुचिका को राठौरी दबाव के सामने आत्महत्या का रास्ता नहीं चुनना पड़ेगा।
सुधांशु गुप्त

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