Thursday, March 8, 2012

YE DOORIAN...

किसी शायर ने कहा है - इब्तदा-ए-इश्क का निराला है चलन, उसको फुर्सत ना मिली, जिसको सबक याद हुआ। लेकिन ये गुजरे जमाने की बातें हैं। 21वीं सदी के दूसरे दशक में एक ही मोहब्बत के लिए सब कुछ लुटा देना पुरानी परंपरा हो गई। नई परंपरा है कि मौका मिलते ही किसी दूसरे से इश्क कर डालो और पहले इश्क का परदा गिरा दो। यही वजह है कि हमारे समाज में ‘ब्रेकअप’ की नई अवधारणा उभरी है। हमारा यह कॉलम ब्रेकअप की कुछ रियल घटनाओं पर आधारित है, जिसमें हम उन सामाजिक, आर्थिक, निजी और तकनीकी कारणों को तलाश करने की कोशिश करेंगे, जो ब्रेकअप के सबब बनते हैं। किसी भी विवाद से बचने के लिए हम सिर्फ पात्रों के नाम बदल देंगे, लेकिन हमारा मकसद आपसी रिश्तों में पैदा होने वाली दरार को भरने की कोशिश करना होगा। प्रस्तुत है ‘ब्रेकअप’ की पहली किश्त...




मध्यमवर्गीय परिवार की पिंकी के घरवाले अक्सर उससे विवाह के लिए कहते, तो वह टाल जाती। उसे लगता कि बिना किसी से प्रेम किए वह विवाह कैसे कर सकती है! जिंदगी इसी तरह गुजर रही थी। एक दिन पिंकी को अपनी किसी फ्रेंड की बर्थडे पार्टी में जाना था। इसी पार्टी में उसने पाया कि एक जोड़ी आंखें लगातार उसका पीछा कर रही हैं। उसकी नजरों से नजरें बचा कर पिंकी ने भी उस नवयुवक को जीभर कर देखा, तो पिंकी को लगा कि यही वह शख्स हो सकता है, जो उसका हमसफर बने। इसी पार्टी में दोनों की पहली मुलाकात हुई, जो पिंकी के लिए पहले प्यार में बदल गई। लड़का दक्षिण दिल्ली में रहता था और एक आईटी कंपनी में इंजीनियर था। धीर गंभीर-सा दीखने वाला यह युवक बहुत कम बोलता था, लेकिन मुस्कुराहट उसके चेहरे पर हमेशा तैरती रहती थी। शायद उसकी यह मुस्कुराहट ही थी, जिस पर पिंकी फिदा हो गई थी...



सुधांशु गुप्त



यूर विहार में रहने वाली पिंकी वाडौला 24 वसंत पार कर चुकी थीं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई ऐसा शख्स नहीं मिला था, जिसे देखते ही उनके दिल की घंटियां बजने लगें। हां, एक-दो क्रश जरूर हुए थे, लेकिन वह प्यार में तब्दील नहीं हो पाए थे। पिंकी एक निजी फर्म में एचआर डिपार्टमेंट में काम करती थीं। मस्ती करना और करियर में आगे बढ़ना, उनकी जिंदगी के अहम लक्ष्य थे और इन्हीं पर वह आगे बढ़ रही थी। मध्यमवर्गीय परिवार की पिंकी के घरवाले अक्सर उससे विवाह के लिए कहते, तो वह टाल जाती। उसे लगता कि बिना किसी से प्रेम किए वह विवाह कैसे कर सकती है। जिंदगी इसी तरह गुजर रही थी। एक दिन पिंकी को अपनी किसी फ्रेंड की बर्थडे पार्टी में जाना था। इसी पार्टी में उसने पाया कि एक जोड़ी आंखें लगातार उसका पीछा कर रही हैं। उसकी नजरों से नजरें बचा कर पिंकी ने भी उस नवयुवक को जीभर कर देखा, तो पिंकी को लगा कि यही वह शख्स हो सकता है, जो उसका हमसफर बने। इसी पार्टी में दोनों की पहली मुलाकात हुई, जो पिंकी के लिए पहले प्यार में बदल गई।



लड़का दक्षिण दिल्ली में रहता था और एक आईटी कंपनी में इंजीनियर था। धीर गंभीर-सा दिखने वाला यह युवक बहुत कम बोलता था, लेकिन मुस्कुराहट उसके चेहरे पर हमेशा तैरती रहती थी। शायद उसकी यह मुस्कुराहट ही थी, जिस पर पिंकी फिदा हो गई थी। युवक का नाम था-रोहित। प्यार ने अपने लिए स्पेस तलाश लिया था। पिंकी और रोहित रोज ही मिलने लगे। मोबाइल और फेसबुक ने दोनों को इतना करीब ला दिया कि लगभग हर समय वे एक-दूसरे के संपर्क में रहते। इंडिया गेट, पुराना किला और ना जाने कितने रेस्तरां और मॉल उनकी मोहब्बत के गवाह बन गए। दोनों पार्कों में घंटों एक-दूसरे की आंखों में झांकते हुए भविष्य के सपने तलाश करने लगे। वक्त बीतता रहा और उनकी मोहब्बत परवान चढ़ती गई। मोहब्बत की कशिश जब हदों को पार करने लगी, तो दोनों ने अपने परिवारों से भी मोहब्बत का इकरार कर लिया। दोनों परिवार पढ़े-लिखे थे और बच्चों की जरूरतों को भी समझते थे। लिहाजा दो साल की मोहब्बत के बाद दोनों वैवाहिक बंधन में बंध गए। पिंकी मयूर विहार से साउथ दिल्ली अपनी ससुराल आ गई। ससुराल में उसके सास-ससुर के अलावा एक जेठ और एक छोटी ननद थी। मोहब्बत की इस दूसरी सीढ़ी पर सब कुछ ठीक चल रहा था। ससुराल वाले पिंकी जैसी बहू पाकर खुश थे और रोहित एक अच्छी पत्नी पाकर खुद को धन्य मान रहा था।



लेकिन पिंकी और रोहित की मोहब्बत का एक इम्तिहान अभी बाकी था। एक दिन सूचना मिली कि रोहित का ट्रांसफर पुणे हो गया है। पिंकी को बहुत बुरा लगा। रोहित ने उसे समझाया कि रिश्तों में भौगोलिक दूरियों का कोई अर्थ नहीं होता। वह कोशिश करेगा कि जल्दी ही वापस दिल्ली आ जाए या उसकी नौकरी ही पुणे में कहीं लगवा दे। इस तरह रोहित पुणे चला गया। कुछ दिन तो पिंकी को बहुत अकेलापन महसूस हुआ, लेकिन जल्द ही उसने खुद को नए माहौल में ढाल लिया। इस बीच आॅफिस का ही एक व्यक्ति-दिनेश पिंकी को बाइक पर घर छोड़ने आने लगा। ससुराल वालों ने आपत्ति की, तो पिंकी को बुरा लग गया। उसने अपने सास-ससुर से साफ कह दिया कि उसने रोहित से शादी की थी। अब रोहित ही यहां नहीं है, तो उसका यहां रहने का कोई फायदा नहीं है। उसके बाद पिंकी अपने मायके लौट आई। दिनेश से उसकी करीबियां बढ़ने लगीं। रोहित को ये सारी जानकारियां पुणे में भी मिलती रहीं।



वह कुछ दिन की छुट्टी लेकर दिल्ली आया, तो उसने पिंकी को समझाने की कोशिश की, लेकिन पिंकी ने साफ कह दिया कि दिनेश उसका कुलीग है और यदि वह उसे कभी-कभार छोड़ने आ जाता है, तो इसमें बुराई क्या है? बात बढ़ती गई। पिंकी ने पति पर यहां तक आरोप लगा दिए कि उसकी भी तो पुणे में कोई-ना-कोई दोस्त बन ही गई होगी। कुछ दिन इसी तरह तनाव में गुजरे। रोहित वापस पुणे चला गया। पिंकी ने पुणे में अपनी एक दोस्त से रोहित के बारे में पता कराया, तो पता चला रोहित का भी वहां किसी लड़की से अफेयर चल रहा है। लगभग छह महीने की जद्दोजहद के बाद आखिर में रोहित और पिंकी दोनों ने ही एक-दूसरे से अलग होने का फैसला कर लिया। दोनों कोर्ट में तलाक के लिए मामला दायर कर दिया। एक समझदारी उन्होंने यह दिखाई कि दोनों ने एक-दूसरे पर घटिया किस्म के आरोप नहीं लगाए। दोनों सहमति से तलाक लेने के लिए राजी हो गए यानी मोहब्बत की एक कहानी, जिसने पूरी संजीदगी से आकार लिया था, असमय ही खत्म हो गई।



अब सवाल यह उठता है कि क्या रोहित के पुणे ट्रांसफर हो जाने ने दोनों के बीच दूरियां पैदा कर दीं? क्या रोहित और पिंकी दोनों ही औपचारिक रूप से विवाह बंधन में बधे थे? क्या दो साल का वह प्रेम, जो उन्होंने विवाह से पहले किया, वह महज तफरीह के लिए था? या समाज में प्रेमियों और प्रेमिकाओं की उपलब्धता ने उन्हें एक-दूसरे से दूर कर दिया? बहुत सारे सवाल हैं, जो पिंकी और रोहित की मोहब्बत का हिसाब मांगना चाहते हैं, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि जब इस पूरी प्रेम कहानी और ब्रेकअप की छानबीन की गई, तो पाया गया कि रोहित का पहले से पुणे में किसी लड़की से अफेयर चल रहा था, क्योंकि उस लड़की से शादी नहीं हो सकती थी, इसलिए दिल्ली में उसने एक शादी के लिए प्रेम किया। घरवालों की खुशी के लिए जब यहां का प्रेम शादी में बदल गया, तो उसने अपना ट्रांसफर पुणे करवा लिया। उसे लगता था कि एक पत्नी दिल्ली में रहेगी और प्रेमिका पुणे में उसके पास, जीवन इसी तरह चलता रहेगा।



उधर, रोहित के जाने के बाद पिंकी को अकेलापन महसूस होने लगा था। आॅफिस का एक दोस्त उसकी तरफ आकर्षित हुआ, तो वह उसे रोक नहीं पाई। घर तक आसानी से पहुंच जाने का लालच उसे दिनेश के और करीब ले आया। दोनों ने अपने रिश्ते के टूटने की वजह भौगोलिक दूरियों को मान लिया, लेकिन अंदर से दोनों ही जानते थे कि उनकी यह मोहब्बत महज दिखावटी मोहब्बत थी या फिर समय इन दोनों को एक-दूसरे के करीब ले आया। हकीकत में यह कभी दिल से एक-दूसरे के नहीं हो पाए थे। ऐसे में यदि दोनों एक साथ भी रहते, तो भी एक ना एक दिन इनके बीच ब्रेकअप होना ही था।

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