Thursday, March 8, 2012

बड़े परदे पर बॉलीवुड बालाओं की नयी दुनिया

लगभग दो दशक पहले की फिल्मों में अगर नायिकाओं की भूमिका को याद करें तो अधिकांश का काम नायकों के इर्दगिर्द घूम कर गाने गाना और विवाह के लिए उनका प्रेम पाना होता था, लेकिन बदलती दुनिया के हिसाब से बॉलीवुड की बालाएं भी बदल रही हैं। अब वे बड़े परदे पर महज शोपीस बन कर नहीं रहना चाहतीं। परदे पर उभर रही न्यू एज वुमन के बारे में सुधांशु गुप्त की रिपोर्ट।




बॉलीवुड में अगर पुरानी नायिकाओं को याद करने की कोशिश करें तो आपको तमाम बड़ी नायिकाएं दिखाई पड़ेंगी, लेकिन ये नायिकाएं या तो फिल्मों में नायक के पूरक की भूमिका में होंगी या फिर चुपचाप दुख-तकलीफ सहती होंगी यानी इनका अपना कोई वजूद बड़े परदे पर दिखाई नहीं पड़ता। नायकों को अपनी अदाओं से रिझाना, पेड़ों के इर्दगिर्द घूम कर उनके साथ गाने गाना, बड़े परदे पर यही नायिकाओं के काम समझे जाते थे, लेकिन अब वक्त बदल गया है। अब नायिकाएं भी रियल लाइफ की ही तरह बड़े परदे अपनी अलग पहचान बनाना चाहती हैं। वह चाहती हैं कि उनका काम महज जिस्म की नुमाइश करना ही न हो। वे न केवल प्रोफेशनली कुछ करती दिखाई पड़ें, बल्कि प्रेम के मामले में वे खुद इनिशिएट करें। हालांकि यह प्रक्रिया पिछले डेढ़ दो दशकों से शुरू हो चुकी है, लेकिन ऐसा लगता है कि दीपिका पादुकोन इस मामले में न्यू एज वुमन के रूप में उभर कर सामने आई हैं। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘कार्तिक कॉलिंग कार्तिक’ में दीपिका न केवल बेहद सुंदर लगी हैं, बल्कि उन्हें इस पर चर्चा करने में भी गुरेज नहीं है कि उनके कितने बॉयफ्रैंड हैं। एक सीन में वह फरहान अख्तर को किस करना सिखाती हैं। उनमें किसी तरह की कोई झिझक नहीं है। फिल्म के निर्देशक विजय लालवानी का कहना है कि दीपिका का चरित्र रियल लाइफ से लिया गया है और यह हमारे समाज में आए खुलेपन का प्रतीक है। वह आगे कहते हैं, आज की युवा लड़कियां अपनी सेक्सुएलिटी के प्रति पूरी तरह जागरूक हैं। यही दीपिका पादुकोन हैं, जिन्होंने ‘बचना ऐ हसीनों’ में एक टैक्सी ड्राइवर की भूमिका निभाई थी। वह रणबीर कपूर के प्रेम में पागल होकर अपने काम को नहीं छोड़ देतीं, बल्कि वह अपने प्रोफेशन को प्यार करती हैं। इसी तरह दीपिका ‘लव आजकल’ में आर्ट रेस्टोरेशन में अपना करियर बनाना चाहती हैं।

‘फैशन’ फिल्म में छोटे शहर से आई प्रियंका चोपड़ा मॉडलिंग को अपना करियर चुनती हैं। वह इस पेशे में आने वाली तमाम बाधाओं को पार करते हुए अपना मुकाम हासिल करती हैं। वास्तव में आज रियल लाइफ में तमाम ऐसी लड़कियां दिखाई देती हैं, शादी जिनका मकसद नहीं है। आज राजनीति, बिजनेस, कॉरपोरेट वर्ल्ड या किसी भी अन्य पेशे में ऐसी महिलाएं मिल जाएंगी, जो महत्वाकांक्षी हैं, करियर जिनकी प्राथमिकता है। आज की फिल्में इसी तरह के किरदारों को रिफ्लेक्ट कर रही हैं। वैसे भी मधुर भंडारकर की अधिकांश फिल्में महिलाओं को केंद्र में रख कर ही बनाई गयी हैं। पेज 3, कॉरपोरेट और बार डांसर इसी कड़ी की फिल्में थीं। इसी तरह विद्या बालन द्वारा ‘इश्किया’ में निभाई गयी भूमिका भी पुराने ट्रेडिशन को तोड़ती दिखाई पड़ती है। आज नयी अभिनेत्रियों को यह समझ में आ गया है कि अब वे बड़े परदे पर पुराने नियमों के हिसाब से नहीं चल सकतीं, इसलिए वे समाज में गढ़े जा रहे नये नियमों के तहत बड़े परदे पर भी अपने लिये नये नियम बना रही हैं।



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