Sunday, May 15, 2011

अब शादी नहीं है मंजिल

- सुधांशु गुप्त
लड़कियां अब इस बात से चिंतित नहीं हैं कि उनकी उम्र तीस को टच करने वाली है, और उनकी शादी नहीं हुई। यह ट्रैंड महानगरों, छोटे शहरों, कस्बों से होता हुआ ग्रामीण इलाकों तक पहुंच रहा है। लड़कियों के लिए अब उनका करियर पहली प्राथमिकता है। और शादी से पहले वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहती हैं। समाज और लड़कियों की सोच में आए इस बदलाव पर सुधांशु की एक रिपोर्ट

हेमा गोयल 3 फरवरी को 26 साल की हो जाएंगी। उन्होंने आईपी यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। अब वह एक प्राइवेट कंपनी में कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स कर रही हैं, साथ ही वह एक प्राइवेट कंपनी में ही नौकरी भी करती हैं। वह अपनी लाइफ को पूरी तरह एंजॉय करती हैं और करना चाहती हैं। शादी की उन्हें अभी भी कोई जल्दी नहीं है। वह कहती हैं, पहले मेरा करियर है। एक बार मैं अच्छी तरह सैटल हो जाऊं, उसके बाद शादी भी करेंगे। शादी के लिए पेरेंट्स या सामाजिक दबाव के बारे में भी हेमा का नजरिया एकदम साफ है। वह कहती हैं, सामाजिक दबाव का मेरे लिए कोई अर्थ नहीं है और मेरे पेरेंट्स भी इस बात को समझते हैं, इसलिए वे भी मुझ पर कोई दबाव नहीं डालते।

स्वाति माटा 24 साल की हैं। प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रही हैं। एचआर में उन्होंने एमए किया है। वह कहती हैं, मैं अपने ऑफिस में शादीशुदा लड़कियों से बातचीत में पाती हूं कि शादी के बाद लड़की के पास अपने लिए कुछ नहीं होता। उन्हें सास-सुसर की, पति की देखभाल करनी होती है। इसलिए मैं शादी से पहले की जिंदगी को भरपूर जीना चाहती हूं। पहले पढ़ाई, नौकरी और उसके बाद कुछ साल मस्ती। इसके बाद शादी के बारे में सोचूंगी।

हेमा या स्वाति राजधानी दिल्ली में रहने वाली अकेली ऐसी लड़कियां नहीं हैं। नेहा रावत, श्वेता, सारिका तमाम ऐसी लड़कियां आपको अपने आसपास मिल जाएंगी। इनकी उम्र 25-30 के बीच है। म्यूजिक सुनना, मैसेजिंग करना, पार्टियां देना बेशक इनके लिए पैशन हो, लेकिन इस पैशन के पीछे इनका करियर है। इन सभी का मानना है कि शादी कोई गोल नहीं हो सकता।

पहले का परिदृश्य

दो तीन दशक पहले के भारतीय समाज पर नजर डालते हैं। वह ऐसा समाज था, जहां 20 साल उम्र टच करते ही मां-बाप उसकी शादी की चिंता में पतले होने लगते थे। पड़ोसी भी लगातार उन पर यह कहकर दबाव बनाते थे कि लड़की की उम्र हो रही है, कहीं ऐसा ना हो कि उम्र निकल जाए और फिर आपको पछताना पड़े। वास्तव में वह ऐसा दौर था, जब लड़की को विदा करना मां-बाप का एकमात्र लक्ष्य हुआ करता था। इस पूरे सीन में यह कतई महत्त्वपूर्ण नहीं था कि लड़की पढ़ रही है या नहीं, वह नौकरी करना चाहती है या नहीं, उसके अपने भी कुछ सपने हैं या नहीं। बस, मां-बाप और समाज का यही सपना होता था कि लड़की की जल्द से जल्द शादी कर दी जाए। लेकिन गुजरे दो-तीन दशकों में यह स्थिति काफी हद तक बदली है और लड़कियों की शादी उम्र आगे बढ़ गयी है।

शिक्षा के लिए जिद

जहां मां-बाप इस बात के प्रति जागरूक हुए कि अपनी बेटियों को शिक्षित बनाना है, वहीं लड़कियां भी अपनी एजुकेशन को लेकर सजग हुईं। एजुकेशन ने ही लड़कियों के लिए बाहर की खिड़कियां खोलीं और उन्हें यह समझ में आया कि शादी शिक्षा के बाद की बात है। दिलचस्प बात है कि शिक्षित समाज में लड़कियों की शादी की उम्र हमेशा ज्यादा पाई जाती है। यानी महिलाओं में साक्षरता बढ़ी तो शादी की उम्र भी थोड़ा आगे खिसक गयी। वैश्वीकरण और उदारीकरण ने लड़कियों के लिए भी तमाम तरह के ऐसे कोर्स पैदा किये, जिन्हें करके वे नौकरियां पा सकें। लिहाजा लड़कियों के भीतर आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का सपना पैदा हुआ। और इस सपने को पूरा करने के लिए समय और उम्र की दरकार थी, जिसने शादी को प्राथमिकता में पीछे धकेल दिया।

बढ़ता शहरीकरण

शहरीकरण ने भी लड़कियों की शादी की उम्र को आगे खिसकाने में एक अहम भूमिका निभाई। बढ़ते शहरीकरण ने लड़कों के लिए भी शिक्षा के ज्यादा अवसर मुहैया कराए। और इन गुजरे दो-तीन दशकों में ही लड़कों की सोच भी बदली। ‘सुंदर, सुशील और स्वस्थ’ लड़की का उनका कॉन्सेप्ट ‘वर्किंग और इंटेलिजेंट’ लड़की के कॉन्सेप्ट में बदल गया। अब लड़के पढ़ी-लिखी और नौकरीपेशा लड़कियां चाहने लगे। और जब लड़कियां भी पढ़ने-लिखने लगीं तो वे भी यह सोचने लगीं कि उनके वुड बी ज्यादा पढ़े-लिखे हों। यानी युवा वर्ग में एक ऐसे पोजिटिव कॉम्पिटीशन की भावना पैदा हुई, जिसने लड़कों और लड़कियों दोनों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

पारिवारिक ढांचे में बदलाव

संयुक्त परिवार की अवधारणा, कम से कम शहरों में तो खत्म हुई। इसकी जगह एकल परिवार ने ले ली। संयुक्त परिवारों में बड़े बुजुर्गों की सलाह पर अमूमन लड़कियों की शादी करने का प्रचलन रहा है। ऐसे में बच्चों के मां-बाप से ज्यादा उनके दादा-दादी की चला करती थी। एकल परिवारों में मां-बाप ही अपने बच्चों के भविष्य का फैसला करते हैं। बदलते समाज के साथ, मां-बाप ने भी यह पाया कि पहले लड़कियों का करियर बनाओ, उसके बाद उनकी शादी करो। हेमा कहती हैं, मैं आर्थिक रूप से इतनी स्वतंत्र होकर शादी करना चाहती हूं, ताकि शादी के बाद अगर किसी तरह की खराब स्थिति आए तो मुझे मां-बाप पर निर्भर ना रहना पड़े। मैं खुद उसे हैंडल कर सकूं।

चाहिए मनचाहा वर

पहले लड़कियों की अपनी कोई पसंद नहीं होती थी। वे मां-बाप की ही मर्जी से शादी कर लिया करती थीं। अब उनकी अपनी पसंद है। यानी अब वे भी लड़कों को मना कर रही हैं।

वे चाहती हैं कि उनके सपनों का राजकुमार, उन्हीं के अनुकूल हो। साथ ही लड़कियां यह भी चाहती हैं कि वे शादी से पहले की अपनी जिंदगी को अच्छी तरह एंजॉय कर लें। वे पढ़ाई पूरी करती हैं, नौकरी तलाशती हैं, नौकरी में स्थायित्व तलाशती हैं और नौकरी के बाद एक-दो साल अपने फ्रैंड सर्कल के साथ मस्ती मारना चाहती हैं। लिहाजा उम्र अब उनके लिए मैटर नहीं करती।

क्या है दुनिया में शादी की उम्र

पूरी दुनिया में शादी के लिए लड़कों की औसत उम्र 28.7 और लड़कियों की 26.8 है। आइये देखते हैं अलग-अलग देशों में यह उम्र क्या है?

देश लड़के लड़कियां
अमेरिका 27 25
इंग्लैंड 29.8 27.7
भारत 23.9 19.3
ऑस्ट्रेलिया 30.6 26.1
दक्षिण अफ्रीका 28.9 27.1
पाकिस्तान 22.8 19.7
मिस्र 27.9 22.2

30 की उम्र कोई मायने नहीं रखती

काम मैटर करता है उम्र नहीं

बॉलीवुड में अब तो यह एक आम ट्रैंड होता जा रहा है। सुष्मिता सेन (35), बिपाशा बसु (32), करीना कपूर (30) क्रॉस कर चुकी हैं या करने वाली हैं, लेकिन इनमें से किसी का भी अभी शादी का कोई इरादा नहीं है।

बिपाशा का तो यहां तक कहना है कि वे इस उम्र में खुद को ज्यादा सेक्सी और समझदार मानती हैं। हालांकि बिपाशा पिछले कई सालों से जॉन के साथ हैं, लेकिन शादी करने का उनका भी अभी कोई इरादा नहीं है।

वास्तव में भारतीय समाज पर, खासतौर पर मध्यवर्ग पर सबसे ज्यादा असर बॉलीवुड का ही पड़ता है। और बॉलीवुड में अब यह साफ दिखाई दे रहा है कि वहां नायिकाओं की उम्र से ना तो उनके करियर में कोई दिक्कत आती है और ना ही उनके विवाह में। पूर्व मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय ने भी काफी देर से शादी की और अब वे 37 वर्ष की उम्र में भी भरपूर काम कर रही हैं। यही नहीं, बल्कि उन्हें हॉलीवुड तक की फिल्में मिल रही हैं। काजोल भी शादी के बाद फिल्में कर रही हैं-बेशक कम और दिलचस्प रूप से दर्शक उन्हें पसंद भी कर रहे हैं। बॉलीवुड के अभिनेताओं को भी अब शादी की कोई जल्दी दिखाई नहीं देती। दबंग सलमान खान 44 के हो चुके हैं, जॉन अब्राहम भी 35 छू रहे हैं, लेकिन इन्हें शादी की कोई जल्दी नहीं है। यही ट्रैंड अब भारतीय युवाओं में भी देखने को मिल रहा है। यही नहीं, ऐसा भी बॉलीवुड में पहली बार हो रहा है कि बड़ी उम्र की नायिकाओं के साथ छोटी उम्र के नायक काम कर रहे हैं। यानी नायिका छोटी हो यह मिथ टूट रहा है।

गुल पनाग टर्निग 30

गुल पनाग की एक फिल्म रिलीज होने वाली है-टर्निंग 30। इस फिल्म में फिल्मकार अलंकृता श्रीवास्तव ने लड़कियों के संदर्भ में 30 वर्ष की होने के मुद्दे को बड़ी गंभीरता से पोट्रे किया है। संयोग से पूर्व ब्यूटी क्वीन गुल पनाग भी अपनी तीस की उम्र के आसपास पहुंच चुकी हैं। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी शादी की उम्र (जो पता नहीं किसने तय की है) निकल रही है। वे अपना काम सही तरीके से करना चाहती हैं। वह कहती हैं, यह सच है कि तीस की उम्र में आपकी स्किन का ग्लो कम होने लगता है और सेल्फ एसेसमेंट का प्रोसेस शुरू हो जाता है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप तुरंत शादी कर लें। हालांकि यह भी सच है कि जो लड़कियां जल्दी शादी करके जीवन में स्थायित्व पा जाती हैं, वे कभी टर्निग 30 के साइके के बारे में नहीं सोचतीं। वह कहती हैं, 30 साल मेरे लिए एक आंकड़ा भर है।

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