Saturday, May 21, 2011

छोटे परदे पर लौटी धक-धक गर्ल-माधुरी दीक्षित

माधुरी का रुपहले परदे से प्रेम खत्म नहीं हुआ है। बार-बार लगता है कि शायद यह उनकी आखिरी पारी हो, लेकिन वह फिर-फिर वापसी करती हैं। बॉलीवुड में लंबे समय तक अपने जलवे बिखेरने के बाद भी माधुरी का आकर्षण बना हुआ है तो इसकी वजह है उनकी मुस्कान और मध्यवर्गीय किरदारों को बड़े परदे पर जीवंत करना। एक रिपोर्ट -सुधांशु गुप्त

वर्ष 2011 को अगर माधुरी दीक्षित का साल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इस साल 3 जनवरी से माधुरी एक बार फिर लोगों के घरों और दिलों पर राज करने के लिए आ गयी हैं। सोनी एंटरटेनमेंट के ‘झलक दिखला जा’ में माधुरी जज की भूमिका में दिखाई दे रही हैं। एक लंबे समय तक बॉलीवुड में राज करने वाली माधुरी के लिए भारत लौटने का बहाना इस बार छोटा परदा बना है।

1999 में अमेरिकी डॉक्टर नेने से विवाह करके माधुरी बाकायदा अमेरिका में बस गयी थीं, लेकिन पहले उनकी फिल्में आती रहीं और फिर भारत की मिट्टी उन्हें खुद यहां खींचती रहीं। शादी के बाद भी हालांकि माधुरी की कई फिल्में रिलीज हुईं-आरजू, पुकार, गजगामिनी, लज्जा और हम तुम्हारे हैं सनम। लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म हिट साबित नहीं हुई। एकबारगी लगा कि माधुरी दीक्षित की फिल्मी पारी का यहीं अंत हो गया है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 2002 में संजय लीला भंसाली की देवदास में माधुरी चंद्रमुखी के रूप में वापस लौटीं और उन्हें दर्शकों का प्यार एक बार फिर मिला। यह अकारण नहीं था कि शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के लिखे उपन्यास पर बनी देवदास में पारो के लिए माधुर दीक्षित ही सबसे उपयुक्त अभिनेत्री हो सकती थीं। खासकर इसलिए भी क्योंकि माधुरी को सिनेमा की दुनिया में ‘नेक्स्ट डोर गर्ल’ कहा जाता रहा है।

माधुरी का जन्म एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ। देखने भालने में एक साधारण-सी लगने वाली माधुरी का बचपन आम लड़कियों की ही तरह था। कथक डांस का बाकायदा आठ साल प्रशिक्षण लेने के बाद माधुरी ने बॉलीवुड की ओर रुख किया। हालांकि उनका सपना माइक्रोबायोलॉजिस्ट बनने का था। लेकिन नियति ने उनके लिए रुपहले परदे पर एक भूमिका तय कर रखी थी। इसकी एक वजह शायद यह थी कि माधुरी की मुस्कान और फोटोजेनिक होना देखने वालों को पसंद आता था। लिहाजा 1984 में ‘अबोध’ फिल्म से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। फिल्म नहीं चली, लेकिन माधुरी को फिल्में लगातार मिलती रहीं। यूं देखा जाए तो उन्हें बॉलीवुड में कोई बहुत ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा। अबोध के बाद दयावान और वर्दी जैसी फिल्में करने के बाद 1988 में तेजाब के साथ ही माधुरी भी हिट हो गयीं। इस फिल्म उन पर पिक्चराइज गाना ‘एक दो तीन...चार पांच छह सात आठ नो दस ग्यारह’ सुपर डुपर हिट हुआ और बॉलीवु़ड को एक बड़ी अभिनेत्री मिल गयी। इसके बाद माधुरी ने एक के बाद कई हिट फिल्में दीं। इनमें राम लखन, परिंदे, त्रिदेव, प्रहार, दिल जैसी फिल्में शामिल थीं। 1993 में आई खलनायक और 1994 में आई हम आपके हैं कौन को बड़ी सफलता मिली। हम आपके हैं कौन ने तो सफलता और कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये।

माधुरी के लंबे फिल्मी करियर की खास बात यह रही कि उन्होंने हमेशा एक मध्यवर्गीय लड़की के किरदार को ही परदे पर साकार किया। मशहूर पेंटर मकबूल फिदा हुसैन ने माधुरी के भीतर स्त्री के सभी रूप देखे और उनकी दीवानगी इस हद तक बढ़ गयी कि उन्होंने गजगामिनी फिल्म का निर्माण किया। फिल्म बेशक नहीं चली, लेकिन माधुरी की मुस्कान बराबर चलती रही। श्री नेने से शादी करने के बाद ऐसा लग रहा था कि माधुरी के लिए बड़े परदे पर वापसी मुश्किल होगी। लेकिन 2007 में उन्होंने ‘आजा नच ले’ के जरिये बड़े परदे पर वापसी की। और अब एक बार फिर माधुरी छोटे परदे के जरिये हमारे बीच हैं। देखना है कि अपने समय की इस धक-धक गर्ल को दर्शक पसंद करते हैं या नहीं।

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