Saturday, May 14, 2011

काश जिंदगी के कुछ साल दोबारा जीने को मिल जाते

सुधांशु गुप्त
लगभग दस साल पहले मैंने कंप्यूटर पर काम सीखना शुरू किया था। दो-तीन दिन के अभ्यास के बाद मैं अपनी स्टोरी खुद कंप्यूटर पर टाइप करना सीख गया। साथ ही मैं काफी सारी कमांड से भी वाकिफ हो चुका था। एक दिन मैंने एक स्टोरी की और किसी गलत कमांड देने से वह स्टोरी उड़ गयी। मैं एकदम घबरा गया। लेकिन मेरे एक मित्र ने मुझे बताया कि कट्ोल जैड (एक कमांड) करने से गायब हो गयी स्टोरी वापस आ जाती है। उसने कंप्यूटर पर यह कमांड दी और वह स्टोरी वापस आ गयी। यकीन जानिए मुझे बेहद खुशी हुई। मुझे लगा कि यही एक ऐसी कमांड है, जिससे खो गयी, गुजर गयी चीजों को वापस लाया जा सकता है। तब से मुझे कंप्यूर कंप्यूटर की यही कमांड सबसे ज्यादा प्रिय है। इस कमांड के बारे में मैं अक्सर सोचता हूं कि काश, जिंदगी में भी कोई ऐसी कमांड होती, जिससे गुजर गये डेढ़ दो दशकों को वापस लाया जा सकता। इसलिए कि इन गुजरे दशकों में बहुत कुछ ऐसा हुआ, जो तब हमारे लिए मौजूद नहीं था। दूसरे शब्दों में कहें तो कह सकते हैं कि इन गुजरे दशकों में जिस तेजी से दुिनया में तकनीकी विकास हुए उसका हम अपने विकास में इस्तेमाल नहीं कर पाये। और दिलचस्प बात है कि मैं ही नहीं, चालीस से ऊपर की उम्र के अधिकांश लोगों को यही लगता है कि या तो उनका जन्म डेढ़ दो दशकों बाद हुआ होता या फिर यह सारा विकास उस समय हो गया होता, जब हम किशोर थे, युवा थे।
सुधीर मिश्रा की उम्र 45 साल है और वह मीडिया से जुड़े है। वह अक्सर दुखी से होते हुए कहते हैं, यार हम लोग बड़े गलत समय पर पैदा हुए। काश हम लोग दस बीस साल बाद पैदा होते, तो जिंदगी में बहुत कुछ देख सकते थे। जब हम बड़े और युवा हो रहे थे, तो ना कंप्यूटर था, ना मोबाइल, ना, टेलीविजन का ही इतना विस्तार हुआ था और ना ही उस समय का समाज इतना उदार था। सुधीर मिश्रा अकेले ऐसे शख्स नहीं है। चालीस से ऊपर की उम्र के अधिकांश ऐसे लोग आपको मिल जाएंगे, जिनकी तकलीफ यही है।
वास्तव में ये ठहर सी गयी उम्र के लोग युवाओं की तरह जिंदगी जीना चाहते हैं। इन्हें लगता है कि ये भी अपनी प्रेयसी को एसएमएस भेजें, बिंदास भाव से उनके साथ मैट्ो स्टेशन पर घूमें, मॉल जाएं, सिनेमा देखें और वह सब कुछ करें जो वे अपनी उम्र में करना चाहते थे, लेकिन सुविधाएं ना होने के कारण, माहौल ना होने के कारण नहीं कर पाये।
बात सिर्फ जिंदगी को एन्ज्वॉय करने की ही नहीं है। 48 वर्षीय जगमोहन उनियाल कहते हैं, मैं उस समय बेहद अच्छा गाना गाता था। लेकिन मुझे कोई ऐसा माध्यम नहीं दिखाई पड़ता था, जहां सिंगिंग की मेरी प्रतिभा आकार ले सके। इसलिए बाथरूम में गाते-गाते ही मैं बुढ़ापे की ओर अग्रसर हो गया। काश उस समय भी इतने टेलेंट हंट प्रोग्राम होते तो मैं भी आज अच्छा सिंगर होता।
आखिर पिछले डेढ़ दशकों में हमारी दुनिया कितनी बदल गयी है, जिनका लाभ 40 की उम्र से ऊपर की पीढ़ी नहीं उठा पाई? 90 के दशक से शुरू हुआ उदारवाद आज वैश्विक रूप ले चुका है। आज चीजों को वैश्विक अंदाज में सोचने की प्रक्रिया चल रही है। कंप्यूटर, मोबाइल, बहुराष्ट्ीय कंपनियां, निजी चैनल, मॉल्स की छोटे शहरों में भी बाढ़ सी आ गयी है।
यही नहीं, इस दौरान हमारे मूल्य भी इतनी तेजी से बदले हैं कि हम खुद इस बदलाव पर चकित हैं। पहले जहां प्रेम के इजहार में सालों लग जाते थे, वहीं अब लड़के और लड़कियां भी बिना वक्त गंवाएं प्रेम की स्वीकारोक्ति कर लेते हैं। जब तक रिश्ता चला ठीक, वरना दूसरा घर देखो। प्रेम की जो काल्पनिक दुनिया थी वह अब ठोस जमीन अख्तियार कर चुकी है। लिहाजा 40 से ऊपर के लोगों को लगता है कि क्यों ना वे इस दौर में पैदा हुए?
लेकिन क्या सचमुच पुराने दौर मंे, अपनी उसी उम्र के साथ लौटना संभव है, जो गुजर चुकी है? समाजशास्त्री कहते हैं कि वक्त कभी लौट कर नहीं आता, लेकिन हर दौर में हर व्यक्ति को यह लगता है कि काश, उसका कुछ गुजरा हुआ समय वापस आ जाए, ताकि वह उसे और बेहतर ढंग से जी सके। और यह भी सच है कि किसी भी समाज में तकनालॉजी के स्तर पर ही नहीं, बल्कि हर स्तर पर बदलाव और विकास होता रहता है। यह बदलाव भविष्य की पीढ़ियों के लिए होता है। और वृद्धावस्था की ओर कदम बढ़ा रहे लोगों को यही लगता है कि वे कुछ और युवा होते तो इस विकास का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर सकते थे। इसलिए बेहतर यही है कि अपनी वर्तमान उम्र को अपने वर्तमान स्वरूप में ही जिया जाए। क्योंकि यदि आप यही सोचते रहेंगे कि आप कुछ साल पहले पैदा होते या कुछ और युवा होते, तो यकीन जानिए कि आप उम्र के दस साल और गुजर जाने के बाद इस बात का भी अफसोस करते दिखाई पड़ेंगे कि आपने समाज में हुए इन बदलावों का सही इस्तेमाल नहीं किया। क्योंकि चालीस से पचास के बीच की उम्र भी आपको कुछ भी सीखने से नहीं रोकती और अपने आसपास आपको तमाम ऐसे लोग मिल जाएंगे, इसी उम्र में नयी तकनीक से वाकिफ हो रहे हैं और बाजार में अच्छा काम कर रहे हैं।
आप भी खुद को फिट रख सकते हैं, म्यूजिक और डांस मंे रुचि ले सकते हैं और अपना मेकओवर कराकर खुद को युवा (बेशक बाहरी स्तर पर रही सही) बनाए रख सकते हैं। और जहां तक रूमानियत का सवाल है तो आप अपने बच्चों और अन्य युवाओं को देखकर इस बात पर खुश हो सकते हैं कि जो आपको अपनी उम्र में नहीं मिला वह नयी पीढ़ी को मिल रहा है।
आज मुझे कंप्यूटर पर काम करते हुए दस साल हो गये हैं और अब मैं समझ गया हूं कि कंट्ोल जैड कमांड का इस्तेमाल केवल तभी हो सकता है, जब तक आप कोई और कमांड ना दें। और हम सब जानते हैं कि जिंदगी में हम गुजरे हुए सालों के बाद भी बहुत सारी कमांड दे चुके हैं।...तो गुजरा हुआ जमाना आता नहीं दोबारा। कंप्यूटर भी यही सिखाता है कि यदि कोई स्टोरी उड़ गयी है, तो आप उसे दोबारा लिख लें। और जिंदगी भी यही सिखाती है कि पुरानी इबारतों के मोह में ना पड़कर हमें अपनी जिंदगी की स्लेट पर नयी इबारत लिखनी चाहिए।

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