Monday, March 21, 2011

बनाएं खुशियों का रिपोर्ट कार्ड

बनाएं खुशियों का रिपोर्ट कार्ड
सुधांशु गुप्त
                                                                                                   First Published:30-12-10 06:00 PM
लीजिए, यह साल भी बस गया ही समझो। नया साल अब कुछ ही कदम की दूरी पर है। आप बिजी होंगे नये साल के स्वागत की तैयारियों में-पार्टी, म्यूजिक, डांस, गैट टुगैदर..और भी बहुत कुछ। लेकिन आपको नहीं लगता कि हर बार ही आप न्यू ईयर्स ईव कुछ इसी तरह मनाते हैं। तो इस बार क्यों ना कुछ नया किया जाए। आप जानते हैं कि साल खत्म होने पर हर व्यक्ति गुजरे साल का हिसाब-किताब करने लगता है। यानी उसने क्या पाया और क्या खोया। आप भी कुछ ऐसा ही करते होंगे। गये साल की बहुत सारी बातें आपको दुखी करती होंगी और कुछ बातें आपके मन में खुशी और उत्साह पैदा करती होंगी। तो क्यों ना नये साल का स्वागत अपनी खुशियों और खराब पलों का रिपोर्ट कार्ड बना कर किया जाए।

जाहिर है इसके साथ-साथ आप पार्टी-शार्टी तो करेंगे ही। लेकिन इस मौके पर जब आप अपने रिपोर्ट कार्ड को अपने फ्रैंड्स के साथ शेयर करेंगे तो पाएंगे कि आपकी मस्ती दोगुनी हो गयी है। हमने यहां कुछ बच्चों से बातचीत करके उनसे यही जानने की कोशिश की कि वर्ष 2010 में किन चीजों ने उन्हें खुशियां दीं और किन चीजों ने उन्हें निराश किया। सुधांशु की रिपोर्ट
वंशिका गर्ग
(11 साल), बाल मंदिर स्कूल, प्रीत विहार
वंशिका छठी क्लास में पढ़ती है। पढ़ाई-लिखाई में इंटेलिजेंट वंशिका सोचते हुए कहती है, इस साल का सबसे अच्छा दिन वह था, जब स्कूल फंक्शन के दौरान मेरी बालिका वधू यानी अविका गौड़ से मुलाकात हुई। वह रियली मेरे लिए मेमोरेबल डे था। एक और मौका था, जिसने मुझे बहुत ज्यादा खुशी दी। हमारा स्कूल ट्रिप के लिए आगरा जा रहा था। मेरी मम्मी मुझे जाने नहीं दे रही थीं। मैंने उन्हें बहुत समझाया कि अब मैं बड़ी हो गयी। बाहर जाऊंगी तो मेरा कान्फिडेंस बढ़ेगा। काफी समझाने के बाद मेरी मम्मी ने मुझे वहां जाने की परमिशन दे दी। मैं पहली बार आगरा गयी। वह रियली मेरे लिए एक्साइटिंग ट्रिप था। और जिस बात ने मुझे सबसे ज्यादा दुखी किया, वह थी पहले पापा का एक्सीडेंट और फिर उन्हें डेंगू हो जाना। उस दौरान मैं सचमुच बहुत परेशान रही। मुझे समझ भी नहीं आता था कि क्या करूं। फिर पापा ठीक हो गये। लेकिन नये साल में मैं अपनी खुशियों के साथ ही जाना चाहूंगी।

आकाश ओसवाल
(13 साल), लवली पब्लिक स्कूल
सचिन तेंदुलकर मेरे रोल मॉडल हैं। वह मुझे हमेशा इंस्पायर करते हैं। मैं कोशिश करता हूं कि उनकी मैक्सिमम पारियां देखूं। चांस की बात है कि दक्षिण अफ्रीका के साथ पहले टैस्ट की दूसरी पारी मैं टीवी पर देख रहा था। इसमें सचिन ने टैस्ट क्रिकेट में पचासवीं सेंचुरी पूरी की। यह एक ऐसा रिकॉर्ड है, जिसे तोडम्ना किसी भी बल्लेबाज के लिए आसान नहीं होगा। इस रिकॉर्ड ने देश का कितना सम्मान बढमया है, यह किसी से छिपा नहीं है। मैं चाहता हूं कि मैं जिस भी फील्ड में काम करूं, सचिन की तरह हार्ड वर्क और डेडिकेशन के साथ करूं। दूसरी साल की सबसे बड़ी खुशी मुझे तब मिली जब कॉमनवैल्थ गेम्स के दौरान भारत ने खूब सारे मैडल जीते। अगले साल मैं भी कोई ऐसा काम करना चाहता हूं, जो देश का सम्मान बढ़ाए।
जस्सी
(15 साल), सवरेदय कन्या विद्यालय,
महारानी बाग
फ्रैंड्स के साथ घूमना मुझे बहुत अच्छा लगता है। इस बार मैं अपने फ्रैंड्स के साथ जयपुर घूमने गयी थी। वह मेरे लिए इस साल के सबसे अच्छे दिन थे। मुझे लगता है कि फ्रैंड्स के साथ होना भी हमें बहुत कुछ सिखाता है। वहां हमने खूब मस्ती भी की। कहते हैं अच्छी टीचर बहुत लकी लोगों को मिलती है। हमने अपने स्कूल की एक फेवरेट टीचर का बर्थडे बडम्ी धूमधाम से मनाया। यह मेरे लिए बहुत इमोशनल मूवमेंट था। हमने इस पल का खूब मजा लिया। हां, इस साल कुछ ऐसी बातें भी हुईं, जिन्होंने मुझे डिप्रेस बनाया। जैसे मैं 11 क्लास में साइंस स्ट्रीम लेना चाहती थी, लेकिन किन्हीं कारणों से मुझे कॉमर्स लेनी पड़ी, इसका मुझे बहुत बुरा लगा। एक और घटना थी, जिसने हमें परेशान किया। स्कूल की तरफ से हमने डांस कॉम्पिटीशन में पार्टिसिपेट किया। वहां हम लोग अच्छा परफॉर्म करने के बावजूद अवॉर्ड नहीं जीत पाए। लेकिन हमने यह सीखा कि हार भी खेल का ही हिस्सा है।
 

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