Sunday, May 30, 2010

हैल्थ मैनेजमेंट के मंत्र

क्या आप अपनी हैल्थ को भी मैनेज कर सकती हैं। सरसरी निगाह से देखें तो ऐसा संभव नहीं लगता, लेकिन यदि आप थोड़ा सा व्यवस्थित होकर चलें तो यकीनन अपनी हैल्थ को भी मैनेज कर सकती हैं।

चालीस वर्षीया सुनीता को सिरदर्द होता है तो वह कोई टैबलेट खा लेती हैं और दोबारा से काम पर जुट जाती हैं। जब सुनीता की हड्डियों में दर्द होता है तो वह सोचती हैं कि शायद थकान की वजह से ऐसा होगा, लिहाजा वह कुछ देर आराम करती हैं, फिर काम पर लग जाती हैं। अपनी बीमारियों को गंभीरता से न लेना सुनीता का स्वभाव बन चुका है। इन बीमारियों के बारे में गंभीरता से न सोचने का जो कारण सुनीता को दिखाई पड़ता है, वह है उनका बिजी होना। ऑफिस का काम, घर का काम, पति और बच्चों की देखभाल उन्हें अपने बारे में सोचने की फुर्सत ही नहीं देते। ऐसे में जो चीज उनकी प्राथमिकता में सबसे नीचे है, वह है उनकी अपनी सेहत। बस वह समय के साथ चली जा रही हैं या चलने की कोशिश कर रही हैं। सुनीता का यह स्वभाव केवल सुनीता का ही नहीं है। शहरों में रहने वाली आम मध्यवर्गीय महिलाओं का भी यह स्वभाव बन चुका है और यह स्वभाव देन है, आज के इस आधुनिक युग की नयी जीवन शैली का।

इसमें इनसान को ठहरने का ही वक्त नहीं मिलता और जब ठहरने का वक्त मिलता है तो पता लगता है कि आप किसी गंभीर बीमारी के शिकार हो चुके हैं। तो क्या ऐसा किया जाए कि आप वक्त के साथ कदम से कदम मिला कर भी चल सकें और आपका स्वास्थ्य लगातार आपका साथ देता रहे? जिस तरह हम टाइम मैनेजमेंट की बात करते हैं, क्या हैल्थ मैनेजमेंट जैसी कोई चीज हो सकती है, जो हमें लगातार फिट रखे और बीमारियां या तो हमसे दूर रहें या हम समय रहते बीमारियों को पहचान कर उनका उचित इलाज करा सकें।

डॉक्टरों का मानना है कि यदि महिलाएं नियमित चैकअप को अपनी जीवन शैली का ही हिस्सा बना लें तो यह समस्या काफी हद तक हल हो सकती है। यहां हम आपको हैल्थ मैनेजमेंट का एक कारगर तरीका बता रहे हैं। यदि आप इसके अनरूप चलेंगी तो यकीन जानिये, आप अपनी हैल्थ को सही ढंग से मैनेज कर सकेंगी। आपको बस इतना करना है कि नियमित रूप से यहां दिये गये चैकअप कराने हैं।

मैमोग्राम

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में सन 2015 तक ढाई लाख से अधिक महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) से पीड़ित होंगी। और इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल के अनुसार, शहरों में रहने वाली प्रति एक लाख में से 30-33 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर का शिकार हो सकती हैं, लिहाजा महिलाओं के लिए ब्रेस्ट कैंसर को डिटेक्ट करने वाला टेस्ट-मैमोग्राफी कराना जरूरी है, ताकि ब्रेस्ट कैंसर को समय रहते पहचाना जा सके और उसका उचित इलाज कराया जा सके। डॉक्टरों की सलाह है कि चालीस साल से ऊपर की महिलाओं के लिए साल में एक बार यह टेस्ट बेहद जरूरी है। इसके अतिरिक्त वे प्रतिमाह खुद भी इसका परीक्षण कर सकती हैं। मैमोग्राफी में 1500 से 2000 रुपये का खर्चा आता है।

हीमोग्लोबिन

इसे कंपलीट ब्लड टैस्ट के नाम से भी जाना जाता है। महिलाओं के लिए यह टैस्ट भी नियमित रूप से कराना जरूरी है। यह एक सामान्य ब्लड टैस्ट है, जिससे ब्लड में रेड सेल्स की मात्र को जांचा जाता है। गौरतलब है कि रेड सेल्स में ही हीमोग्लोबिन होता है, जिसके जरिये शरीर के दूसरे हिस्सों में आक्सीजन जाती है। महिलाओं के लिए यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उनमें अनीमिया या रेड ब्लड सेल्स की अक्सर कमी पाई जाती है। इसकी मूल वजह है उनकी खुराक में आयरन की कमी का होना। इस कमी को खाने में हरी सब्जियां, सेब की मात्र बढ़ा कर आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके अलावा आयरन के पूरक तत्वों को अपनी खुराक में शामिल करके भी इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है। गर्भावस्था के दौरान यह टैस्ट बेहद जरूरी होता है। महिलाएं को यह टैस्ट साल में कम से कम एक बार अवश्य कराना चाहिए। इसमें खर्च भी महज 50-100 रुपये के बीच आता है।

शुगर टेस्ट

शुगर का बढ़ जाना भी आज की शहरी जिंदगी में एक बड़ी बीमारी के तौर पर शामिल हो चुका है। यह टेस्ट ब्लड में शुगर का लेवल जांचने के लिए किया जाता है। हाई ब्लड शुगर का अर्थ है कि व्यक्ति डायबिटीज का रोगी है, जबकि लो ब्लड शुगर के लिए भी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। डॉक्टरों का अंदाजा है कि सन 2025 तक भारत डायबिटीज रोगियों की विश्व राजधानी बन जाएगा। यह टेस्ट किडनी की बीमारियों के पहचानने में भी मदद करता है। महिलाओं के लिए यह टेस्ट साल में एक बार कराना जरूरी है। इसे कराने में 700-1000 रुपये खर्च होते हैं।

बोन्स डेन्सिटोमेट्री

महिलाओं में हड्डियों में कमजोरी की शिकायत आम है। कभी उनके पैरों में दर्द होता है तो कभी पूरे शरीर की हड्डियों में। बोन्स डेन्सिटोमेट्री टैस्ट हड्डियों में कैल्शियम की मात्र जांचने के लिए किया जाता है। कभी-कभी ब्लड में तो कैल्शियम की मात्र ठीक होती है, लेकिन हड्डियों में कम हो जाती है। इसकी वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती है। वैसे भी डॉक्टरों का कहना है कि 30 साल की उम्र के बाद हड्डियां एक प्रतिशत प्रतिवर्ष के हिसाब से कमजोर होने लगती हैं। महिलाओं के लिए यह टैस्ट 45 वर्ष की उम्र के बाद बेहद जरूरी हो जाता है। खासकर ओस्ट्रोपोरोसिस के खतरे को जानने के लिए। डॉक्टर कहते हैं कि महिलाओं को पहला टैस्ट 40 वर्ष की उम्र में करा लेना चाहिए और उसके बाद डॉक्टरों की ही सलाह पर इसे नियमित रूप से कराना चाहिए। इसे कराने का खर्च 2000-3000 रुपए के बीच बैठता है।

दांतों की जांच

दांतों के डॉक्टर के पास केवल उन्हें साफ कराने के लिए ही नहीं जाना चाहिए, बल्कि कैविटीस और दांतों की अन्य बीमारियों की जांच के लिए भी जाना चाहिए। हालांकि दांतों का चैकअप विशेषकर महिलाओं के लिए ही नहीं है, लेकिन महिलाओं में हारमोनल प्रॉब्लम विकसित होने की प्रवृत्ति होती है, जिससे दांतों में इनफेक्शन हो सकता है, इसलिए हर छह माह में या साल में कम से कम एक बार दांतों की उचित जांच कराने में फायदा ही है। इसका खर्चा 250-400 रुपये के बीच आता है और इतना रुपया आप अपनी मुस्कराहट पर तो खर्च कर ही सकती हैं।

कोलेस्ट्रॉल

ब्लड में कोलेस्ट्रोल की मात्र जांचने के लिए यह टैस्ट किया जाता है। बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल दिल की बीमारियों को जन्म देता है। हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि फीमेल हारमोन-इस्ट्रोजेन महिलाओं को हार्ट से जुड़ी बीमारियों से बचाता है, लेकिन मीनोपॉज के बाद इस हारमोन का स्तर भी कम हो जाता है। साथ ही आज की जीवन शैली, तनाव, स्मोकिंग से इसका स्तर और भी कम हो जाता है। लिहाजा साल में एक बार यह टैस्ट कराना जरूरी है। इसका खर्च 750-1000 रुपये के बीच बैठता है।

थाइरॉयड फंक्शन टेस्ट

यह एक तरह का ब्लड टेस्ट है, जिससे थाइराइड ग्लैंड की फंक्शनिंग की जांच की जाती है। थाइराइड ग्लैंड थाइरोक्सिन नामक हारमोन प्रोड्यूस करता है, जो शरीर में होने वाले बदलावों को नियमित करता है। महिलाओं में इसके चलते मोटापा बढ़ना, बाल उड़ना जैसी बीमारियां हो जाती हैं। महिलाओं को गर्भावस्था में विशेष रूप से यह टैस्ट कराने की सलाह दी जाती है। यह टैस्ट महिलाओं का साल में एक बार अवश्य करा लेना चाहिए। इसे कराने का खर्चा 500-800 रुपये के बीच आता है।

ब्लड प्रेशर

आज के दौर में ब्लड प्रेशर का बढ़ना और कम होना एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है। ब्लड प्रेशर या हाइपरटैंशन में जो सबसे खतरनाक है, वह है कि धमनियों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ रहा है और वे नष्ट हो सकती हैं। डॉक्टरों की सलाह है कि यदि आपका ब्लड प्रेशर हाई है और आप हाइपरटैंशन में नहीं हैं तो जीवन शैली में बदलाव लाकर यानी उसमें सादगी लाकर, एक्सरसाइज के जरिये ब्लड प्रेशर को सामान्य स्तर तक ला सकते हैं, लेकिन यह सब तभी संभव है, जब आपको यह पता हो कि आपका ब्लड प्रेशर हाई है। लिहाजा जरूरी है कि साल में कम से कम एक बार अपने ब्लड प्रेशर की जांच अवश्य करा ली जाए। इसमें खर्च भी ज्यादा नहीं आता। केवल 100 रुपये।

पेल्विक अल्ट्रासाउंड

यह टेस्ट गायनोक्लॉजिकल बीमारियों को जांचने के लिए कराया जाता है। आपकी उम्र चाहे 20 हो या 50, यह टैस्ट हर महिला-लड़की को प्रतिवर्ष कराना चाहिए। इसके संकेतों को गौर से देखिये, ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है, वजन कम हो रहा है या बढ़ रहा है तो इस टैस्ट को तुरंत कराना चाहिए। इसका खर्च 800-1000 के बीच आता है।
सुधांशु गुप्त

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