Sunday, May 30, 2010

प्रोमो में प्रमोट करें करियर

सिनेमा हॉल्स में फिल्म देखते समय आपने अक्सर आने वाली फिल्मों के प्रोमो या ट्रेलर जरूर देखे होंगे। इन प्रोमोज को देख कर आप आने वाली फिल्म के बारे में एक धारणा बना लेते हैं कि फिल्म अच्छी होगी या बुरी। ये प्रोमोज इतने टाइटली एडिटिड होते हैं कि किसी सीन पर आप नजर जमाना चाहते हैं तो तुरंत विजुअल बदल जाता है। वक्त के साथ-साथ फिल्मों के प्रचार के तरीके और प्रोमोज की दुनिया में भी बदलाव आया है। आज अनेक ऐसे फिल्मकार हैं, जो अपनी फिल्मों के प्रोमो बनाने में खुद रुचि लेते हैं। आप भी यदि चाहें तो प्रोमो से अपने करियर को प्रमोट कर सकते हैं यानी इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं। इस बहाने आप फिल्म बनाने का अपना सपना फिल्मों के प्रोमोज बना कर पूरा कर सकते हैं।

करियर के रूप में इसे क्यों अपनाएं?

हालांकि इसे करियर के रूप में चुनना आपकी निजी स्वतंत्रता है, लेकिन यदि आप क्रिएटिव हैं, आपमें तकनीकी क्षमताएं हैं और फिल्में देखना और उस दुनिया से जुड़ना आपका सपना है तो आप इसे करियर के रूप में चुन सकते हैं। जसवंत सिंह ने पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर होने के बावजूद इस पेशे को चुना और वह पिछले 20 सालों से टी-सिरीज में फिल्म और टेलीविजन प्रोमोज बनाते हैं। वह बताते हैं, यह बेहद दिलचस्प काम है। फिल्म में अपनी क्रिएटिविटी दिखाने के लिए आपको तीन घंटे का समय चाहिए, लेकिन प्रोमोज में आपको एक-दो मिनट में ही अपनी क्रिएटिव क्षमताओं को उजागर करना होता है। उनके अनुसार आज के युवा इस क्षेत्र में अपना अच्छा करियर बना सकते हैं।

सबसे पहले क्या करें?

इस पेशे में आने के लिए सबसे पहले आप खुद को तोलें। देखें कि आप में कितनी क्रिएटिव क्षमताएं हैं और आपका ब्रेन कितना टेक्नोलॉजी सैवी है। इसके अलावा आपको यह भी देखना होगा कि क्या आप में अच्छे शॉट्स और अच्छे ऑडियो की समझ है। यदि आप ये सारे गुण खुद में पाते हैं तो आप अच्छे प्रोमो मेकर बन सकते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले किसी अच्छे संस्थान से एडिटर का कोर्स करना होगा। एडिटर, यानी वह आदमी, जो शूट की गयी फिल्म को एडिट करता है, उसमें से अच्छे-अच्छे शॉट्स लेकर फिल्म को जोड़ता है।

किस संस्थान से करें यह कोर्स

यूं तो दिल्ली में एडिटिंग का कोर्स कराने वाले अनेक संस्थान हैं। जसंवत सिंह बताते हैं, दिल्ली में आज तक, एनडीटीवी, जागरण और मारवाह स्टूडियो जैसे संस्थान हैं, जो एडिटिंग का कोर्स कराते हैं। मेरे हिसाब से पुणे फिल्म संस्थान और मुंबई में अनुपम खेर का संस्थान इसके लिए सबसे बढ़िया है। मुंबई से यह कोर्स करने का एक और फायदा यह है कि फिल्मों से जुड़ा अधिकांश काम आज भी मुंबई में ही होता है।

कोर्स करने के बाद

कोर्स पूरा करने के बाद आपको एडिटिंग का काम लगातार करना होगा। इसके लिए आप दिल्ली में प्रोडक्शन हाउसेज के पास जा सकते हैं। इसके अलावा चैनल्स में भी एडिटर और प्रोमो डायरेक्टर के रूप में काम कर सकते हैं। तमाम चैनलों पर बनने वाले प्रोग्राम्स के लिए प्रोमोज बनाये जाते हैं।

ये प्रोमो, प्रोमो डायरेक्टर ही बनाता है। अगर देखा जाए तो ये प्रोमो ही प्रोग्राम्स के लिए दर्शकों को आमंत्रित करते हैं। जितना अच्छा प्रोमो बनेगा, उतने ही ज्यादा दर्शक प्रोग्राम को देखेंगे। वैसे आजकल अधिकांश एडिटर अपनी एडिटिंग टेबल डाल कर ही काम करते हैं। ये लोग प्रोडक्शन हाउसेज से प्रोग्राम्स की पैकेज डील कर लेते हैं, लेकिन यदि आपको फिल्मों के ही प्रोमो बनाने हैं तो उसके लिए उपयुक्त जगह मुंबई है। वहां आप किसी बड़े प्रोडक्शन हाउस से जुड़ सकते हैं।

कितनी है कमाई

अगर आप नौकरी ही करना चाहते हैं तो आपको 20 से 35 हजार रुपये माह की नौकरी आसानी से मिल सकती है, लेकिन यदि आपके सपने बड़े हैं और आप अच्छा काम करना चाहते हैं और उसके लिए मुंबई जाते हैं तो आप डेढ़ लाख रुपये माह तक कमा सकते हैं। और फिर कौन जाने किसी दिन आप भी माई नेम इज खान जैसी फिल्मों के प्रोमो बनाते दिखाई पड़ें। जसवंत सिंह बताते हैं, वास्तव में प्रोमो बनाना बेहद महीन काम है। इसके लिए व्यक्ति का परफेक्ट होना बहुत जरूरी है। अनेक डिवोशनल एलबम और रीमिक्स के लिए प्रोमोज बना चुके जसवंत कहते हैं, प्रोमो के लिए पहले हमें ऑडियो काटना पड़ता है। उसके बाद उस ऑडियो के अनुरूप हमें विजुअल लगाने पड़ते हैं। कई बार विजुअल रफ कट में से भी लिये जाते हैं और कई बार फिल्मों में प्रोमोज अलग से शूट करवाये जाते हैं। यानी फिल्मों के प्रोमोज बनाना कभी-कभी फिल्म बनाने से भी ज्यादा मुश्किल काम हो सकता है और इस मुश्किल काम के पैसे भी सामान्य से अधिक होते हैं।

प्रोमोज से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य

अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्म ‘मेजर साहब’ के प्रोमोज खुद अपने सुपरविजन में शूट कराए थे और इसमें लगभग 15 दिन का समय लगा था।

अजय देवगन ने अपनी फिल्म ‘प्यार तो होना ही था’ के प्रोमो में स्पेशल इफेक्ट्स का प्रयोग किया था, जिसमें चार लाख रुपये लगे थे। यह उस वक्त का सबसे महंग प्रोमो बताया गया था।

शाहरुख खान ने डुप्लीकेट फिल्म के प्रोमो खुद डायरेक्ट किये थे।

उदय चोपड़ा डर से लेकर दिल तो पागल है फिल्मों के लिए अलग से प्रोमो शूट करते रहे, जो यह साबित करता है कि प्रोमोज फिल्मों के लिए कितने जरूरी हो गये हैं।
सुधांशु गुप्त

No comments: